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ध्रुपद संगीत – Dhrupad Gayan Shaili
Dhrupad Gayan – ध्रुपद भारतीय शास्त्रीय संगीत की सबसे पुरानी और पारंपरिक गायन शैलियों में से एक है। इसका विकास मध्यकालीन भारत में हुआ और यह संगीत की एक महत्वपूर्ण और गंभीर शैली मानी जाती है। ध्रुपद शब्द “ध्रु” (अटल) और “पद” (कविता) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है “अटल पद” या “स्थिर कविता”।
ध्रुपद की विशेषताएँ
प्राचीनता: ध्रुपद का इतिहास बहुत पुराना है और यह वैदिक काल की वैदिक संगीत परंपराओं से विकसित हुआ माना जाता है।
गंभीरता और गरिमा: ध्रुपद गायन में गंभीरता और गरिमा होती है। यह एक पवित्र और शास्त्रीय संगीत शैली है जिसमें गायक की एकाग्रता और संजीदगी आवश्यक होती है।
राग और ताल: ध्रुपद गायन में राग और ताल का पालन बहुत सख्ती से किया जाता है। इसे प्रमुख रूप से चौताल, धमार, सूल ताल और तिवड़ा ताल में गाया जाता है।
अलाप: ध्रुपद गायन की शुरुआत विस्तृत अलाप से होती है, जिसमें गायक बिना ताल के राग का विस्तार करता है। अलाप तीन भागों में विभाजित होता है: स्थाई, अंतर, और संचारि।
बंदिश: ध्रुपद में बंदिश या रचना का महत्वपूर्ण स्थान है। बंदिशें भक्ति, नीतिपरक और वीर रस पर आधारित होती हैं। इन्हें ठेकेदार लय में गाया जाता है।
पखावज संगत: ध्रुपद गायन में पखावज का प्रमुख रूप से उपयोग होता है, जो गायक को लय का समर्थन देता है। पखावज की संगत ध्रुपद की गंभीरता और गरिमा को और बढ़ाती है।
स्वर और शब्दों का महत्व: ध्रुपद में स्वर और शब्दों का महत्व होता है। गायक स्वरों की शुद्धता और शब्दों की स्पष्टता पर विशेष ध्यान देता है।
ध्रुपद के प्रमुख प्रकार
- स्थाई: यह बंदिश का पहला भाग होता है, जिसमें गायक स्थिरता से राग का परिचय कराता है।
- अंतर: यह बंदिश का दूसरा भाग होता है, जिसमें गायक राग के विस्तार को और गहराई से प्रस्तुत करता है।
ध्रुपद के प्रमुख घराने
ध्रुपद गायन शैली के कई प्रमुख घराने हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:
- डागर घराना: इस घराने के गायक ध्रुपद की शैली को विशेष महत्व देते हैं।
- बेतिया घराना: इस घराने के गायक भी ध्रुपद के महत्व को समझते हैं और उसे गाते हैं।
- दरभंगा घराना: इस घराने का ध्रुपद गायन में महत्वपूर्ण स्थान है।
ध्रुपद के प्रमुख गायक
ध्रुपद गायन शैली के कई प्रसिद्ध गायक और परिवार हुए हैं, जिनमें डागर बंधु, उस्ताद जिया मोइनुद्दीन डागर, उस्ताद जिया फरीदुद्दीन डागर, पंडित राम चतुर मल्लिक, और पंडित विदुर मल्लिक शामिल हैं।
ध्रुपद की तालें – गायकी आलाप
ध्रुपद का सांस्कृतिक महत्व
ध्रुपद का भारतीय संगीत और संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह संगीत की एक पवित्र और शास्त्रीय शैली है, जो न केवल संगीत की गंभीरता और गहराई को प्रदर्शित करती है, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास की भी एक महत्वपूर्ण धरोहर है।
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