Raag

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Raag Sohani Parichay – Bandish – Taan

Raag Sohani – Raag Sohini इस पोस्ट में, हम राग सोहनी का परिचय (Raag Sohani Parichay) प्रस्तुत करते हैं, जिसमें Sohani Raag Notes, Raag Sohani Taan, और एक आकर्षक राग सोहनी बंदिश (Raag Sohani Bandish) “रंग डारो ना श्याम” के बारे में भी जानकारी मिलेगी, जो नोटेशन के साथ पूरी होगी।  राग सोहनी परिचय Raag Sohani Parichay – सोहनी राग को मारवा […]

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राग पूरिया: Raag Puriya Parichay Bandish

इस पोस्ट में, हम राग पूरिया का परिचय (Raag Puriya Parichay) प्रस्तुत करते हैं, जिसमें Puriya Raag Notes, Raag Puriya Taan, और एक आकर्षक राग पूरिया बंदिश (Raag Puriya Bandish) “कैसी ये भलाई रे” के बारे में भी जानकारी मिलेगी, जो नोटेशन के साथ पूरी होगी। “कोमल रिषभ अरु तीरब तब, जहाँ न पंचम होई।गनी वादी

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Ek Thaat Se 484 raag

एक थाट से 484 रागों की उत्पत्ति: Ek Thaat Se 484 raag

एक थाट से 484 रागों की उत्पत्ति Ek Thaat Se 484 Raag – राग की 6 जातियों के आधार पर एक थाट से कुल 484 रागों की रचना की जा सकती है। राग की मुख्य तीन जातियों के विभिन्न मिश्रण से 6 जातियाँ बनती हैं, जिनके नाम हैं: रागों की रचना विधि रागों की रचना-विधि

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राग भीमपलासी: Bhimpalasi Raag Parichay & Bandish

राग भीमपलासी परिचय Bhimpalasi Raag – राग भीमपलासी काफी थाट से उत्पन्न माना जाता है। इस राग में गंधार और निषाद कोमल होते हैं, जबकि अन्य स्वर शुद्ध प्रयोग होते हैं। आरोह में रे और ध स्वर वर्जित हैं, लेकिन अवरोह में सभी सात स्वरों का प्रयोग होता है। इस राग की जाति औडव-संपूर्ण मानी

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Raag Darbari Parichay

राग दरबारी: Raag Darbari parichay & bandish

“राग दरबारी कान्हड़ा: आसावरी थाट से उत्पन्न, गंभीर और मधुर स्वरों से युक्त एक गहरा और शास्त्रीय राग।” इस पोस्ट में, हम राग दरबारी परिचय (Raag Darbari Parichay) प्रस्तुत करते हैं, जिसमें Raag Darbari Notes, राग दरबारी बंदिश (Raag Darbari Bandish) और सुंदर तानों (Raag Darbari Taan) के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी Raag Darbari Parichay Raag Darbari Kanada –

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राग पटदीप: Raag Patdeep Parichay & Bandish

 Raag Patdeep Parichay राग पटदीप भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण राग है, जिसकी उत्पत्ति काफी थाट से मानी जाती है। इस राग की प्रमुख विशेषताएं और स्वर संरचना इसे अन्य रागों से अलग बनाती हैं। आइए, इस राग के बारे में विस्तार से जानें। राग पटदीप परिचय  Raag Patdeep – राग पटदीप की उत्पत्ति

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राग बिहाग – Raag Bihag Parichay

इस पोस्ट में, हम राग बिहाग का परिचय (Raag Bihag Parichay) प्रस्तुत करते हैं, जिसमें Bihag Raag Notes, Raag Bihag Taan, और एक आकर्षक राग बिहाग बंदिश (Raag Bihag Bandish) “कान्हा जारे” के बारे में भी जानकारी मिलेगी, जो नोटेशन के साथ पूरी होगी। Raag Bihag – राग बिहाग का परिचय राग बिहाग की रचना

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राग जयजयवन्ती: Raag Jaijaiwanti Parichay Bandish Alaap & Taan

Raag Jaijaiwanti Parichay इस पोस्ट में, हम राग जयजयवंती का परिचय (Raag Jaijaiwanti Parichay) प्रस्तुत करते हैं, जिसमें raag jaijaiwanti bandish, Raag jaijaiwanti Taan, और एक आकर्षक राग जयजयवंती बंदिश (raag jaijaiwanti bandish) “दामिनि दमके डर मोहे लागे” के बारे में भी जानकारी मिलेगी, जो नोटेशन के साथ पूरी होगी। राग जयजयवंती का परिचय Raag Jaijaiwanti

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राग कालिंगड़ा: Raag Kalingada Parichay – Bandish – Taan & Alaap

राग कालिंगड़ा परिचय Raag Kalingada Parichay – राग कालिंगड़ा भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण राग है, जो अपनी विशिष्टता और गहनता के लिए जाना जाता है। इस राग की रचना भैरव थाट से मानी गई है, और इसमें रिषभ और धैवत स्वर कोमल होते हैं। राग कालिंगड़ा का गायन समय प्रातः काल, रात्रि का

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राग शंकरा: Raag Shankara Parichay, Bandish

राग शंकरा परिचय Raag Shankara Parichay – राग शंकरा की रचना बिलावल थाट से मानी गई है। इसमें आरोह (चढ़ाव) में रिषभ और मध्यम स्वर वर्ज्य हैं, जबकि अवरोह (उतार) में केवल मध्यम स्वर वर्ज्य है। इस कारण, इसकी जाति औडव-षाडव मानी जाती है। राग का वादी स्वर पंचम और संवादी स्वर षडज होता है।

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