लक्षण गीत – Lakshan Geet Kise Kahate Hain

लक्षण गीत क्या है

“लक्षण गीत – Lakshan Geet Kise Kahate Hain” में जानें लक्षण गीत क्या है और लक्षण गीत किसे कहते हैं? Discover the concept of Lakshan Geet, its definition, and significance in Indian classical music. Learn more about “लक्षण गीत” और इसके प्रकार।

लक्षण-गीत एक विशेष प्रकार का गीत है, जिसका उद्देश्य राग के लक्षणों को स्पष्ट करना होता है। इ पोस्ट में, हम विस्तार से बताएंगे कि लक्षण-गीत में कौन-कौन से तत्व होते हैं, जैसे राग के थाट, स्वर, वादी, संवादी, और समय का विवरण। इसके साथ ही, लक्षण-गीत के विभिन्न प्रकार जैसे राग लक्षण-गीत, ताल लक्षण-गीत, और शास्त्र लक्षण-गीत पर भी चर्चा की जाएगी। यह जानकारी विशेष रूप से संगीत के छात्रों और शास्त्रीय संगीत प्रेमियों के लिए उपयोगी होगी जो लक्षण-गीत के माध्यम से राग और ताल के गहरे ज्ञान को समझना चाहते हैं। “लक्षण-गीत क्या है” और “लक्षण-गीत” की पूरी जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें और संगीत की इस महत्वपूर्ण धरोहर को समझें।

lakshan geet kise kahate hain

Lakshan Geet Kise Kahate Hain?

लक्षण गीत किसे कहते हैं?

Lakshan Geet – लक्षण गीत ‘लक्षण’ और ‘गीत’ दो शब्दों का संयोजन है। ‘लक्षण’ का अर्थ है किसी वस्तु, प्राणी, या स्थान के चिह्न, जबकि ‘गीत’ एक काव्यात्मक प्रबन्ध है। साधारण रूप से, लक्षण गीत वह गीत है जो किसी राग या ताल के विशेष लक्षणों को बताता है।

लक्षण गीत भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसमें किसी राग का संपूर्ण लक्षण होता है। इसका मुख्य उद्देश्य प्रारम्भिक विद्यार्थियों को गीत के माध्यम से राग का परिचय कराना है, ताकि वे इसे आसानी से कण्ठस्थ कर सकें।

लक्षण गीत का महत्व

  • शिक्षण में सहायक: लक्षण गीत प्रारम्भिक संगीत छात्रों के लिए राग का गहरा ज्ञान प्राप्त करने का एक प्रभावी साधन है।
  • राग की पहचान: यह गीत राग के स्वरूप को स्पष्ट करता है, जिसमें थाट, स्वर, वादी, संवादी, समय और प्रकृति का वर्णन होता है।
  • विविधता: लक्षण गीत ख्याल की तरह होते हैं और इन्हें विभिन्न तालों में गाया जा सकता है, जैसे तीनताल और ध्रुपद अंग।

लक्षण गीत के प्रकार

लक्षण-गीत को तीन मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

1. राग लक्षण-गीत

यह गीत किसी राग विशेष के लक्षणों को बताता है। इसमें राग के थाट, स्वर, वादी, संवादी, गायन समय, और प्रकृति का विवरण मिलता है। राग लक्षण गीत आज भी संगीत के अध्ययन में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं।

2. ताल लक्षण-गीत

ताल लक्षण गीत किसी विशेष ताल के लक्षणों को बताता है। इसमें ताल की मात्रा, विभाग, खाली, ताली, और प्रकृति का वर्णन होता है। विभिन्न तालों के लिए विशेष लक्षण गीत उपलब्ध हैं, जो ताल वाद्यों पर बजने वाले ताल का भी विवरण प्रदान करते हैं।

3. शास्त्र लक्षण-गीत

शास्त्र लक्षण-गीत संगीत के विभिन्न शास्त्रीय भेदों की चर्चा करता है, जैसे नाद, श्रुति, स्वर, ग्राम, और मूर्च्छना। ये गीत संगीत शास्त्र के गहन अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

उदाहरण: अल्हैया बिलावल का लक्षण-गीत

स्थाई

“कहत बिलावल भेद अल्हैया।
प्रात समय गुनि गावत जेहि को,
ध-ग सम्वाद करैया।”

अंतरा

“आरोहन मध्यम तजि दैया,
संग धैवत मृदु नि बिचरैया,
गपधनिसांनिधपधनि धपमगमरे सुर लेवैया।”

लक्षण-गीत | Lakshad Geet

लक्षणगीत भारतीय शास्त्रीय संगीत की धरोहर हैं, जो संगीत शिक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन गीतों के माध्यम से संगीत के विभिन्न पहलुओं का गहरा ज्ञान प्राप्त होता है, जो विद्यार्थियों और संगीत प्रेमियों के लिए अत्यंत लाभकारी है।

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