राग कालिंगड़ा: Raag Kalingada Parichay – Bandish – Taan & Alaap

raag kalingada parichay

राग कालिंगड़ा परिचय

Raag Kalingada Parichay – राग कालिंगड़ा भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण राग है, जो अपनी विशिष्टता और गहनता के लिए जाना जाता है। इस राग की रचना भैरव थाट से मानी गई है, और इसमें रिषभ और धैवत स्वर कोमल होते हैं। राग कालिंगड़ा का गायन समय प्रातः काल, रात्रि का अंतिम प्रहर अर्थात सुबह 4 से 7 बजे तक होता है। यह राग अपनी चंचल प्रकृति और विशिष्ट स्वरों के कारण संगीत प्रेमियों के बीच एक विशेष स्थान रखता है।

Raag Kalingada Parichay

  • थाट: भैरव
  • वादी स्वर: पंचम (प)
  • संवादी स्वर: षडज (सा)
  • स्वर: रिषभ और धैवत कोमल, शेष स्वर शुद्ध
  • जाति: सम्पूर्ण
  • गायन समय: प्रातः 4 से 7 बजे तक

राग कालिंगड़ा आरोह & अवरोह

  • आरोह: सा रे ग, म प, नि सां
  • अवरोह: सां नि प म प प म ग रे सा
  • पकड़: प, ग म ग, रे सा

मतभेद

कुछ विद्वानों का मत है कि इस राग में धैवत और गंधार को वादी-सम्वादी स्वर माना जाना चाहिए। हालांकि, लेखक के मतानुसार, पंचम को वादी और षडज को संवादी स्वर मानना अधिक उचित है। इसकी वजह यह है कि पंचम पर इस राग में खूब न्यास होता है, जबकि धैवत का महत्व कम है। इसके समप्रकृति राग भैरव में भी धैवत वादी स्वर माना गया है, लेकिन राग कालिंगड़ा में पंचम को वादी स्वर के रूप में प्राथमिकता दी जाती है।

राग कालिंगड़ा की विशेषताएँ

  1. चंचल प्रकृति: राग कालिंगड़ा को एक चंचल प्रकृति का राग माना जाता है। इसमें बड़ा ख्याल और मसीतखानी गतें कम सुनाई पड़ती हैं। राग भैरव की तुलना में यह कम लोकप्रिय है, लेकिन अपनी विशेषताओं के कारण यह अनूठा है।

  2. प्रातः कालीन संधि प्रकाश राग: यह राग प्रातः काल में गाया जाता है और इसका संधि प्रकाश समय इसे विशेष बनाता है। इसमें कोमल रिषभ और धैवत के साथ शुद्ध गंधार और मध्यम का प्रयोग होता है, जो इसे एक अद्वितीय संगीतमय स्वरूप प्रदान करता है।

  3. गंधार पर न्यास: राग कालिंगड़ा में गंधार स्वर विशेष रूप से चमकता है और इस पर खूब न्यास किया जाता है। यह विशेषता इसे राग भैरव से अलग पहचान देती है।

    समप्रकृति राग

    राग कालिंगड़ा का समप्रकृति राग भैरव है। दोनों रागों में कुछ समानताएँ हैं, लेकिन दोनों की अलग-अलग स्वर संगतियाँ और न्यास के स्वर होते हैं।

Raag Kalingada Bandish

राग कालिंगड़ा बंदिश – स्थायी 

– – – – | – – – – | – – – – | – – सां नि
– – – – | – – – – | – – – – | – –  ग ग

सां – नि | – म – | प ग म | ग  –  – ग
रि या ऽ मैं | कै ऽ से ऽ | ले ऽ घ र | जा ऽ ऊं ऽ
0             | 3            | x            | 2

सा – ग म | प नि सां | नि सां नि | प सां नि
बा  ऽ ट च | ल ट मो हे | रो क  त क | न्हा ई ग ग
0             | 3             | x               | 2

राग कालिंगड़ा बंदिश – अन्तरा

| नि – सां नि | सां रें सां रें | नि – सां –
– सा स बु | री – मो री | न न द ह | ठी ऽ ली ऽ
0             | 3             | x           | 2

सां नि सां  रें | सां – प |धध निसां रेंरें सांनि | प सां नि
 दे  व  रा क |  रे  ऽ ल र | कैऽ  ऽ     ऽ     ऽ   | याँ ऽ ग ग
0                | 3            | x                         | 2

राग कालिंगड़ा – तालबद्ध तानें

राग कालिंगड़ा में तीनताल का प्रयोग अधिक किया जाता है। यहाँ कुछ 8 मात्रा की तालबद्ध तानें –

  1. सारे गम गरे सारे । गम पम गम गरे
  2. साग मप गम प । पम गम गरे सा-
  3. गम प, सांनि प । मग मग रेसा निसा
  4. रेसा निसा, प मप । गम पप मग रेसा
  5. मग रेसा निध पम । सांनि प मग रेसा

 

हमारी टीम को आपकी मदद की आवश्यकता है! 🙏

हमारी वेबसाइट भारतीय शास्त्रीय संगीत को समर्पित है। दुर्भाग्य से, हमारी टीम के एक सदस्य को तुरंत सर्जरी की आवश्यकता है, जिसके लिए ₹83,000 की मदद चाहिए।

हम आपसे अनुरोध करते हैं कि इस कठिन समय में हमें सहयोग दें। आपका छोटा-सा योगदान (सिर्फ ₹10-₹50-₹100-₹500) भी हमारे साथी के जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

आप कैसे मदद कर सकते हैं?

  • Copy This UPI ID : Indianraag@ybl 
  • QR कोड: स्क्रीनशॉट लेकर UPI ऐप से पे करें।

indianraag sahayata

  • EmailMusicalsday@gmail.com OR support@indianraag.com

आपका समर्थन केवल हमारे साथी के लिए ही नहीं, बल्कि संगीत के प्रति हमारे समर्पण को भी बनाए रखने का जरिया है।

धन्यवाद!

How To Read Sargam Notes

कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • कोमल ग: ग(k) या 
  • कोमल रे: रे(k) या रे
  • कोमल ध: ध(k) या 
  • कोमल नि: नि(k) या नि

नोट: आप परीक्षाओं में (रेनि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।

तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • तीव्र म: म(t) या मे

स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।

तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।

मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।

  • उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि

तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।

    • उदाहरण: सां = तार सप्तक सा

राग कालिंगड़ा भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण राग है, जो अपनी चंचल प्रकृति और प्रातः कालीन संधि प्रकाश समय में गाए जाने के कारण विशिष्ट पहचान रखता है। इस राग की संरचना, स्वरों की विशेषताएँ, और बंदिशें संगीत प्रेमियों को गहराई और शांति का अनुभव कराती हैं। राग कालिंगड़ा, भैरव थाट के अन्य रागों की तुलना में अपनी अलग विशेषताओं के कारण संगीतज्ञों के बीच एक अनमोल धरोहर है।

THANK-YOU

आपका हमारी पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद! हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए लाभदायक रही होगी। यदि आप इस पोस्ट में किसी भी प्रकार की त्रुटि पाते हैं, तो कृपया हमें कमेंट करके बताएं। हम अपनी त्रुटियों को सुधारने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।

हमारा उद्देश्य है कि हम आपको भारतीय शास्त्रीय संगीत की गहराइयों से परिचित कराएँ और आपके संगीत प्रेम को और अधिक समृद्ध बनाएँ। आपके सुझाव हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। यदि आप किसी विशेष राग की बंदिश या परिचय के बारे में जानना चाहते हैं, तो हमें अवश्य बताएं। हम आपकी जरूरतों के अनुसार अगली पोस्ट में उस राग की जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे।

आपके समर्थन और प्रोत्साहन के लिए हम आभारी हैं। कृपया जुड़े रहें और हमारी पोस्ट को अपने मित्रों और परिवार के साथ साझा करें।

धन्यवाद और शुभकामनाएँ!

प्रणाम 
IndianRaag.com

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top