राग जौनपुरी का परिचय, बंदिश - Payal Ki Jhankar Bairaniya
Raag Jaunpuri Parichay
राग जौनपुरी परिचय – जौनपुरी राग आसावरी ठाट से उत्पन्न हुआ राग माना गया है। इस राग में ग , ध, नी स्वर कोमल लगते हैं । आरोह में ग (गंधार ) वर्ज्य है। अवरोह में सातों स्वर प्रयोग किये जाते हैं। अतः इस राग की जाती षाडव-संपूर्ण है। जौनपुरी राग का वादी स्वर ध (धैवत )और संवादी स्वर ग (गंधार) है। इस राग को दिन के दूसरे प्रहर में गाया बजाया जाता है।
Raag Jaunpuri – राग जौनपुरी का आरोह-अवरोह
- आरोह: सा रे म प ध नि सां।
- अवरोह: सां नि ध प, म ग रे सा।
पकड़ – म प, नि ध प, ध म प ग रे म प।
थाट – आसावरी ठाट
वादी स्वर – ध
संवादी स्वर – ग
जाति – षाडव – संपूर्ण
गायन समय – दिन के दूसरे प्रहर
राग जौनपुरी की विशेषता
- कुछ विद्वानों की धारणा है कि जौनपुर के सुल्तान हुसैन शर्की ने इस राग की रचना की थी, इसलिए इसे जौनपुरी राग कहा गया।
- इसे आसावरी राग से बचाने के लिए रे म प बार बार प्रयोग करते है।
- यह उत्तरांग वादी राग है अतः इसकी चलन अधिकतर सप्तक के उत्तर अंग में औस्तार सप्तक में होती है।
- इसमें प ग (k) की संगति बार बार दिखाई जाती है जैसे-म प ध (k) म प ग (k) – रे मप।
न्यास के स्वर – सा और प।
Raag Jaunpuri – राग जौनपुरी छोटाख्याल
Raag Jaunpuri Bandish – Sthayi
सां ध प | ध म पध मप | ग ー रे सा | म प प ー |
ડ पा य ल | की ー झ- न- | का ー र बै | र नि या ー |
0 | 3 | X | 2
प पध सां सां | ध ー प ध | ग ー ー रेसा | रे ー सा ー |
झ न- झ न | बा ー जे ー | कै ー ー स- | मो ー रे ー |
0 | 3 | X | 2
रे रे म म | प प ग ー | रें ー सां ー | नि सां ध म |
पि या से मि | ल न को ー | जा ー ऊ ー| अ ब मैं ー |
0 | 3 | X | 2
पध निसां नि सां | ध प पध मप |
पा- – – य ल | की ー झ- न- |
0 | 3
Raag Jaunpuri Bandish – अन्तरा
म म प ー | ध ー नि नि | सां सां सां सां | नि सां सां ー |
बि र हा ー| से ー त न | ता ー प त | प त है ー |
0 | 3 | X | 2
ध ー ध सां | ー सां सां सां | सांरें गं रें सां | नि सां ध प |
अं ー ग अ | ー ग स ब | ला- ー ग र | ही ー ला ー |
0 | 3 | X | 2
प गं ー रेंसां | रें ー सां ー | नि निसां नि सांरें | रें ध ー प |
सा दा ー रं- | गी ー ले ー | उ ठत जि — | या हू ー क |
0 | 3 | X | 2
ー सां ध प | ध म पध मप |
ー पा य ल | की ー झ- न- |
0 | 3
Raag Jaunpuri Taan
- सारे मप धनि सां- | सांनि धप मग रेसा
- सारे मम रेम पप | मप धप मग रेसा
- मप मप मग रेसा | सारे मप धप
- सारे मप निनि धप | मप धप मग रेसा
- मप धनि पध निसां | सांनि धप मग रेसा
- मप धप मप धनि | धप मप मग रेसा
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How To Read Sargam Notes
कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- कोमल ग: ग(k) या ग
- कोमल रे: रे(k) या रे
- कोमल ध: ध(k) या ध
- कोमल नि: नि(k) या नि
नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।
तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- तीव्र म: म(t) या मे
स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।
तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।
मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।
- उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि
तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।
- उदाहरण: सां = तार सप्तक सा
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