राग वृन्दावनी सारंग – Vrindavani Sarang Raga Parichay

Raga Vrindavani Sarang

इस पोस्ट में राग वृन्दावनी सारंग पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें। Vrindavani Sarang Raga के परिचय, राग वृंदावनी सारंग बंदिश, और Raag Brindavani Sarang के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझें। जानें इसके आरोह, अवरोह, पकड़ और अन्य विशेषताएँ।

Vrindavani Sarang Raga Parichay

Raag Vrindavani Sarang Parichay

Vrindavani Sarang Raga – वृन्दावनी सारंग राग का जन्म काफ़ी थाट से माना गया है। इसमें गंधार ( ग ) और धैवत (ध ) स्वर वर्ज्य है। अतः इसकी जाति औडव – औडव है। वादी स्वर ऋषभ तथा सम्वादी स्वर पंचम मन जाता है। इसका गायन समय मध्यान्ह काल है। इसमें दोनों रिषभ (रे ) तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते है। 

वृन्दावनी सारंग आरोह-अवरोह और पकड़

  • आरोह: .नि सा रे, म प, नि सां
  • अवरोह: सां नि प, म रे, सा
  • पकड़: रे म प नि प, म रे, नि सा

Raag Brindavani Sarang

  • ठाट: काफी
  • वादी स्वर: रे
  • सम्वादी स्वर: प
  • जाति: औडव-औडव
  • गायन समय: तीसरा प्रहर

राग वृन्दावनी सारंग विशेषतायें 

 
  1. राग वृंदावनी सारंग के अतिरिक्त सारंग के कई प्रकार है जैसे – शुद्ध सारंग, मियाँ की सारंग, बड़हंस सारंग, सामंत सारंग, मध्यमाद सारंग आदि। 
  2. राग वृंदावनी सारंग(Raag Vrindavani Sarang) के आरोह में शुद्ध और अवरोह में कोमल नि का प्रयोग किया जाता है। उपयुक्त आरोह – अवरोह यह बात स्पष्ट। है 
  3. वृंदावनी सारंग के प्राचीन ध्रुपदों में कही कही अल्प शुद्ध धैवत मिलता है, किन्तु वर्तमान  समय में धैवत नहीं प्रयोग होता।
  4. इसमें (Raag Vrindavani Sarang) बड़ा ख्याल छोटा ख्याल तराना सब गया जाता है। 
  5. साधारण  बोल चाल की भाषा में सारंग का अर्थ वृन्दावनी ही लगाया जाता है

Raag Vrindavani Sarang Bandish

राग वृंदावनी सारंग बंदिश – बन बन ढूंढ़न जाऊ

 
Vindavani Sarang – स्थायी 
 
सां सां रें सां | नि – प पम |  रे  – म – | प – – –
ब   न  ब  न | ढूं  ऽ ढ़ नऽ | जा ऽ ऽ ऽ | ऊ ऽ ऽ ऽ
0               | 3               | X            | 2
 
म  प सां – | नि  प म रे | रे  प नि पम | रे – – सा 
कि त हूँ  ऽ | छि प ग ये | कृ ऽ ष्ण मुऽ| रा ऽ ऽ री 
0              | 3             | X              | 2
 
Vrindavani Sarang – अंतरा 
 
 म –  प प | निनि नि | सां – सां सां | नि सां सां सां 
शी ऽ स मु | कु ट औ  र | का ऽ न   न | कुँ ऽ ड ल 
0             | 3               | X               | 2
 
नि सां रें – | मं मं रें सां | नि सां रें  सां | नि सां नि प 
बं  ऽ सी ऽ | ध  र म न |  रं  ऽ  ग  फि|  र  त  गि र 
0              | 3            | X               | 2
 
मप निसां रेंमं रेंसां | निसां रेंसां नि प | सां सां रें सां | प नि पम प 
धा-  ऽऽ  ऽऽ  ऽऽ  |  ऽऽ   ऽऽ  री ऽ | बी  न ब  न | ढूँ ऽ  ढऽ न 
0                        | 3                     | X               | 2
 
 
राग वृंदावनी सारंग तान ( 16 मात्रा )
  1. .निसा रेम पनि सां- | सांनि पम रेम रेसा | .निसा रेम पनि सांनि | निनि पम रेम रेसा |
  2. .निसा रेरे सारे मम | रेम पप मप निनि | पनि सांसां पनि सांसां | सांनि पम रेम रेसा
  3. .निसा रे.नि सारे. निसा | रेम परे मप रेम | पनि सांप निसां पनि | सांनि पम रेम रेसा

How To Read Sargam Notes

कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या ( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • कोमल ग: ग(k) या ग
  • कोमल रे: रे(k) या रे
  • कोमल ध: ध(k) या ध
  • कोमल नि: नि(k) या नि

नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।

तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • तीव्र म: म(t) या मे

स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।

तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।

मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।

  • उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि

तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।

    • उदाहरण: सां = तार सप्तक सा
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