ताल की परिभाषा – कहरवा, दादरा, रूपकताल की परिभाषा बोल

ताल की परिभाषा और भारतीय शास्त्रीय संगीत के 5 प्रमुख ताल

Taal Kise Kahate Hain

Introduction – ताल भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण घटक है जो संगीत की लय और संरचना को निर्धारित करता है। इस लेख में, हम ताल की परिभाषा और पाँच प्रमुख तालों – दादरा, रूपक, कहरवा, झपताल, और तीनताल – के बारे में विस्तार से जानेंगे।

ताल परिचय

ताल की परिभाषा

ताल वह साधन है जो संगीत में समय को मापने का कार्य करता है। यह लयबद्धता और स्थिरता प्रदान करके संगीत के प्रदर्शन को व्यवस्थित बनाता है।

संगीत में समय नापने के साधन को ताल कहते हैं.

संगीत रत्नाकर के अनुसार:

ताल वह है जिसमें नृत्य, वाद्य एवं गीत प्रतिष्ठित रहते हैं।” प्रतिष्ठा का अर्थ है व्यवस्थित करना और स्थिरता प्रदान करना।

भरतमुनि के अनुसार:

संगीत में काल मापने के साधन को ‘ताल’ कहते हैं। जिस प्रकार भाषा में व्याकरण की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार संगीत का मुख्य पहलू ताल है।”

ताल का महत्व संगीत को अनुशासित और संरचित रूप में प्रस्तुत करने में है, जिससे श्रोताओं को एक समृद्ध अनुभव मिलता है।

भारतीय शास्त्रीय संगीत के 5 प्रमुख ताल

 

1. दादरा ताल (Dadra Taal)

परिचय:
दादरा ताल 6 मात्रा की होती है और इसमें दो विभाग होते हैं, जिनमें प्रत्येक 3 मात्रा होती है। यह ताल अपनी सरलता और सुगमता के लिए जानी जाती है।

ताली और खाली:

  • 1 पर ताली (x)
  • 4 पर खाली (o)

बोल:

धा  धी  ना  | धा  त  ना
    x          | o    
 
 

2. रूपक ताल (Rupak Taal)

परिचय:
रूपक ताल 7 मात्रा की होती है और इसमें तीन विभाग होते हैं। पहले विभाग में 3 मात्रा और शेष दो में 2-2 मात्रा होती हैं। यह ताल अपने विविध लय और स्वरूप के लिए प्रसिद्ध है।

ताली और खाली:

  • 1, 4, और 6 पर ताली (X, 2, 3)

बोल:

ती  ती  ना  |  धी  ना  |  धी  ना | 
      X               |   2       |    3
 
 

3. कहरवा ताल (Keharwa Taal)

परिचय:
कहरवा ताल 8 मात्रा की होती है और इसमें दो विभाग होते हैं, प्रत्येक में 4 मात्रा होती हैं। यह ताल लोक संगीत और भजनों में व्यापक रूप से उपयोग की जाती है।

ताली और खाली:

  • 1 पर ताली (X)
  • 5 पर खाली (O)

बोल:

धा  गे  ना  ते  |  न  क  धिं  ~ |
X                  |  O
 
 
 

4. झपताल (Jhaptaal)

परिचय:
झपताल 10 मात्रा की ताल है, जिसमें चार विभाग होते हैं। पहले और तीसरे विभाग में 2-2 मात्रा होती हैं, जबकि दूसरे और चौथे में 3-3 मात्रा होती हैं। यह ताल अपनी जटिल संरचना के लिए जानी जाती है।

ताली और खाली:

  • 1, 3, और 8 पर ताली (X, 2, 3)
  • 6 पर खाली (O)

बोल: 

धी ना  |  धी  धी  ना  |  ती  ना  | धी  धी  ना
X         |  2             |  O         |   3

5. तीन ताल (Teentaal)

परिचय:
तीन ताल 16 मात्रा की ताल होती है और इसमें चार विभाग होते हैं, प्रत्येक में 4 मात्रा होती हैं। यह ताल भारतीय शास्त्रीय संगीत में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली ताल है।

ताली और खाली:

  • 1, 5, और 13 पर ताली (X, 1, 3)
  • 9 पर खाली (O)

बोल:

धा धिं धिं धा|धा धिं धिं  धा|धा धिं धिं ता|ता धिं धिं ध
X               | 1                |O            |   3            
 
 
 

सम और खाली का महत्व

  • सम (×): यह ताल का पहला और सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है, जहाँ ताल की शुरुआत होती है।
  • खाली (O): ताल में एक विराम बिंदु होता है, जो लय में ठहराव का संकेत देता है।

निष्कर्ष

ताल भारतीय शास्त्रीय संगीत की आत्मा है, जो इसे लयबद्धता और संरचना प्रदान करती है। यह संगीत के अनुभव को समृद्ध और संपूर्ण बनाती है, जिससे श्रोता और कलाकार दोनों को संगीत का पूरा आनंद मिलता है।

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ताल की परिभाषा
ताल की परिभाषा

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