SANGEET ME SWAR kISE kAHTE HAI

संगीत में स्वर किसे कहते है

Swar Kise Kahte Hai – वास्तव में स्वर वह संगीतोपयोगी नाद हैं,  जो स्पष्ट एवं सुनने में मधुर हो.  जिसकी आवाज स्थिर गुंजमान हो और जिसे सुनने में प्रसन्नता की प्राप्ति हो.  उसे स्वर कहते हैं |

कुछ विद्वानों के अनुसार स्वर की परिभाषा

पं0 ओंकारनाथ ने स्वर की परिभाषा इस प्रकार दी है – ‘‘वह नाद जो किसी प्रकार के आघात से उत्पन्न होता है, जो रंजक हो, जो कान को मधुर लगती है सुख देने वाला हो, जो निश्चित श्रुति स्थान पर रहते हुए भी अपनी जगह स ऊपर या नीचे हटने पर विकृत होता है, और आत्मा की सुख-दःख आदि संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने में सहायक हो, उसे ‘स्वर’ कहते है‘‘।

पंडित अहुवल जी का कहना हैं की जो सुनने वालो के चित्त को प्रसन्न करें वह ध्वनि ही स्वर हैं |

Swar Kise Kahte Hai

संगीत में कितने स्वर होते हैं ?

भारतीय संगीत में मुख्य रूप से सात स्वर होते हैं, जिन्हें षड्ज, ऋषभ, गंधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद कहा जाता है, जिन्हें सा, रे, गा, म, प, ध, नि के रूप में भी जाना जाता है. 

 
 

12 Swaro Ke Naam

  1. षड़ज – स
  2. कोमल ऋषभ – रे
  3. ऋषभ – रे
  4. कोमल गांधार –
  5. गांधार – ग
  6. मध्यम – म
  7. तीव्र मध्यम – म
  8. पंचम – प
  9. कोमल धॅवत – 
  10. धॅवत – ध
  11. कोमल निषाद – नि
  12. निषाद – नि।

स्वर कितने प्रकार के होते हैं ?

स्वरों के मुख्य दो प्रकार माने जाते हैं।

  • शुद्ध स्वर
  • विकृत स्वर

1. शुद्ध स्वर – जब स्वर अपने निश्चित स्थान पर रहते हैं, शुद्ध स्वर कहलाते हैं। शुद्ध स्वर की संख्या 7 मानी गयी है। इनके नाम हैं – सा, रे, ग, म, प, ध, नि।

शुद्ध स्वर के भी 2 प्रकार होते है

  • चल स्वर
  • अचल स्वर
  • 1. चल स्वर – वे स्वर जो शुद्ध होने के साथ-साथ विकृत (कोमल अथवा तीव्र) भी होते है उन्हे चल स्वर कहते हैं। जैसे रे ,ग ध, नी कोमल और म तीव्र।
  • 2. अचल स्वर – जो स्वर सदैव शुद्ध होते हैं, विकृत कभी नहीं होते, अचल स्वर कहलाते हैं। जैसे – सा (षड़ज) और प (पंचम)।

2. विकृत स्वर – जो स्वर अपने निश्चित स्थान से थोड़ा चढे़ अथवा उतरे हुए होते हैं, वे ‘विकृत स्वर’ कहलाते हैं। संगीत में 5 विकृत स्वर होते है। इनके नाम हैं –  रे, ग, मे, ध, नि

विकृत स्वर के भी दो प्रकार होते हैं – 

  • कोमल विकृत
  • तीव्र विकृत
  • 1. कोमल विकृत – जब कोई स्वर अपने निश्चित स्थान (शुद्धावस्था) से नीचा होता है तो उसे ‘कोमल विकृत’ कहतें हैंजैसे – रे, ग, ध, नि
  • 2. तीव्र विकृत – जब कोई स्वर अपने निश्चित स्थान से ऊपर होता है तो उसे ‘तीव्र विकृत’ कहते हैं। जैसे – मे (मध्यम)

सप्तक में षड़ज और पंचम के अतिरिक्त शेष स्वर जैसे रे, ग, ध, नि स्वर कोमल विकृत तथा म तीव्र विकृत होता है।

एक सप्तक में कुल मिलाकर 12 स्वर होते हैं। 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र स्वर, इनका क्रम इस प्रकार है:- स, रे, रे, , ग, म, म, प, , ध, नि, नि |

कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न – संगीत के सात सुर(स्वर) कौन से हैं?

उत्तर – संगीत के मुख्य सात सुर (स्वर) होते हैं जिनके नाम षडज्, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद हैं। साधारण बोलचाल में इन्हें सा, रे, ग, म, प, ध तथा नि कहा जाता है।

प्रश्न – भारतीय संगीत में कितने अंचल स्वर है?

उत्तर – जो स्वर सदैव शुद्ध होते हैं, विकृत कभी नहीं होते, अचल स्वर कहलाते हैं। अचल स्वर २ होते है सा और प

प्रश्न – शुद्ध स्वर की संख्या कितनी है?

उत्तर – स्वरों के दो प्रकार हैं- शुद्ध स्वर और विकृत स्वर। बारह स्वरों में से सात मुख्य स्वरों को शुद्ध स्वर कहते हैं

प्रश्न – कोमल स्वर कितने होते हैं?

उत्तर – संगीत में एक सप्तक में चार कोमल स्वर होते हैं – ऋषभ (रे), गंधार (ग), धैवत (ध), निषाद (नी)

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