Raag Tilak Kamod – राग तिलक कामोद परिचय, बंदिश

Tilak Kamod Raag – Parichay

इस पोस्ट में, हम राग तिलक कामोद का परिचय (Raag Tilak Kamod Parichay) प्रस्तुत करते हैं, जिसमें Tilak Kamod Raag Notes, Raag Tilak Kamod Taan, और एक आकर्षक राग तिलक कामोद बंदिश (Raag Tilak Kamod Bandish) “नीर भरन कैसे जाऊं सखी” के बारे में भी जानकारी मिलेगी, जो नोटेशन के साथ पूरी होगी।

Raag Tilak Kamod

Raag Tilak Kamod – राग तिलक कामोद परिचय

 

राग तिलक कामोद का परिचय –  राग तिलक कामोद की उत्पत्ति ख़माज थाट से मानी गई हैं, वादी स्वर षडज अर्थात “सा” हैं, आरोह में ग और ध वर्जित हैं और अवरोह में “रे” इसलिए इसकी जाति औडव – षाडव हैं, इसका गायन समय रात्रि का दूसरा प्रहर हैं |

 
Raag Tilak Kamod Aaroh Avroh
  • आरोह – सा रे ग सा, रे म प ध म प, नि सां |
  • अवरोह – सां प, ध म ग, सा रे ग ~ सा .नि |
  • पकड़ – सां प ध म ग, सा रे ग ~ सा .नि ~ .प .नि सा रे ग सा |
Tilak Kamod Raag Parichay

थाट – ख़माज थाट
समय – रात्रि का दूसरा प्रहर 
वादी – षडज (सा)
संवादी – 
जाति – औडव – षाडव 

इस राग में कुछ मतभेद हैं
मतभेद                      
  • इस राग में दोनों नि का प्रयोग किया जाता हैं परन्तु कुछ विद्वान इसमें केवल शुद्ध नि का प्रयोग करते हैं उनका कहना हैं की कोमल नि से बिहारी राग की छाया आएगी |
  • कुछ विद्वान रे और प को वादी सम्वादी स्वर मानते हैं|
  • इसके आरोह के जाति में कुछ विद्वानों का मतभेद हैं, कुछ औडव कुछ षाडव और कुछ विद्वान वक्र सम्पूर्ण जाति का राग मानते हैं | 
 
राग तिलक कामोद कि विशेषता
  1. इस राग में ग सा, रे प तथा सांप की संगति बार-बार दिखाई जाती है। उदाहरणार्थ इसका आलाप देखिये ।
  2. इसकी प्रकृति चपल होने के कारण इसमें अधिकतर छोटा ख्याल तथा ठुमरी गाई जाती है। कभी-कभी ध्रुपद भी सुनने को मिल जाता है।
  3. कुछ विद्वान् इसमें दोनों नि प्रयोग करते हैं। कोमल नि प्रयोग करने के लिये तार सा से प पर आते हैं और तब इसे प्रयोग करते हैं, जैसे सां प, निधप, धमग ।
  4.  इसकी चलन वक्र है। मींड के साथ तार सा से प और ग से सा को सीधे चले जाते हैं। केवल अवरोहात्मक तानों में रे सीधा प्रयोग कर लिया जाता है ।
  • न्यास के स्वर- सा, ग और प ।
  • समप्रकृति राग देश और सोरठ ।
 

Raag Tilak Kamod Bandish – राग तिलक कामोद बंदिश

 
Raag Tilak Kamod Notes – Sthayi

.

 रे  ग  रे  प | म ग  सा  रे | नि प  नि सा | रे  ग  नि सा 
नि ~  र  भ | र  न  कै  से | जा ~  ऊँ स  | खी ~ अ बा
0              | 3               |×                 | 2      
 

रे म प ध | म प सां सां | प ध म म | गरे ग नि सा 
ड ग र च | ल त मो से  | क र त रा | ~   र अ ब
0            |3                | X             |2

 
नीर भरन कैसे जाऊं सखी – अंतरा

.

म  म  म  म | प  प  नि  नि | सां  सां  नि  नि | सां सां नि सां 
ऐ  सो चं  च | ल  च  प   ल |  ह    ठ   न   ट | ख  ट  मा न 
×                | 2                 |O                     |3


 रें  रें सां रें | गं  नि सां सां  | प  नि  सां  रें | नि  सां  प ~
त न का हू | की बा  ~  त  | वि  न  ति  क |  र   त   मै ~
×               | 2                 |O                   |3

प  ध  म  म  | गरे  ग  नि  सा
ग  ई   रे  हा |  ~  र   अ   ब   
 ×                |2

राग तिलक कामोद तान – 8 मात्रा

  1. सारे मग रेसा, सारे । मप धप मग रेसा ।
  2. सारे मग धप मप । निसां पध मग रेसा ।
  3. निसा रेम, रेम पध, । मप निसां पनि सां- ।
  4. मप धप मग रेग। सा- रेम पनि सां- ।
  5. पनि सारें गंसां निसां। पध मग रेग सा-  ।

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How To Read Sargam Notes

कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या ( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • कोमल ग: ग(k) या ग
  • कोमल रे: रे(k) या रे
  • कोमल ध: ध(k) या ध
  • कोमल नि: नि(k) या नि

नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।

तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • तीव्र म: म(t) या मे

स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।

तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।

मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।

  • उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि

तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।

    • उदाहरण: सां = तार सप्तक सा

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प्रणाम 
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