Raag Sohani Parichay – Bandish – Taan

Raag Sohani - Raag Sohini

इस पोस्ट में, हम राग सोहनी का परिचय (Raag Sohani Parichay) प्रस्तुत करते हैं, जिसमें Sohani Raag NotesRaag Sohani Taan, और एक आकर्षक राग सोहनी बंदिश (Raag Sohani Bandish)रंग डारो ना श्याम” के बारे में भी जानकारी मिलेगी, जो नोटेशन के साथ पूरी होगी। 

राग सोहनी परिचय

Raag Sohani Parichay – सोहनी राग को मारवा थाट जन्य माना गया है। इसमें रे कोमल, मध्यम तीव्र तथा पंचम वर्ज्य है। वादी धैवत और सम्वादी गंधार है। आरोह में रे प और अवरोह में केवल पंचम वर्ज्य होने से इसकी जाति औडव-षाडव है। इसका गायन-समय रात्रि का अन्तिम प्रहर अर्थात् प्रातः 4 से 7 तक है।

  • आरोह – सा ग मे ध नि सां।
  • अवरोह – सां रें सां, नि ध, मे ग ऽ मे ध ग मे ग, रे सा।
  • पकड़ – सां, नि ध नि ध ऽ मे ग, मे ध नि सां रें सां।
raag sohani parichay

Raag Sohani Parichay

  • थाट: मारवा
  • जाति: औडव-षाडव
    • आरोह में पंच स्वर (औडव)
    • अवरोह में छः स्वर (षाडव)
  • वादी और संवादी: धैवत (वादी) और गंधार (संवादी)
  • गायन समय: प्रातःकालीन संधिप्रकाश (4-7 बजे)
  • विशेष स्वर: रे (कोमल) और म (तीव्र), पंचम (वर्ज्य)

राग सोहनी की विशेषता

  • यह चंचल प्रकृति का राग है। विलम्बित आलाप लेने से पूरिया राग की छाया आ सकती है।
  • यह उत्तरांग प्रधान राग है जो अवरोह में अधिक स्पष्ट होता है।
  • इसमें ध ग की संगति बहुत होती है। 
  • यह प्रातः कालीन संधिप्रकाश राग है और सायंकालीन संधि-प्रकाश राग मारवा का प्रातः कालीन प्रतिरूप है।
  • कुछ संगीतज्ञ कभी-कभी राग की रंजकता बढ़ाने के लिये शुद्ध म प्रयोग करते हैं।

Raag Sohani Bandish

राग सोहनी बंदिश – रंग डारो ना श्याम जी

तीनताल – मध्यलय (16 मात्रा)

 
 
Sthayi
 
 
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 –   –    –   –    |  –    –    –   –   |   –    –    –   ग  | मे   ध  नि  ध 
 –    –    –    –  |  –    –    –   –   |   –    –    –   रं  |  ग  न  डा   रो
 
1    2   3   4  |  5   6   7   8  |  9  10 11 12 | 13 14 15 16 
रे     –   सां  –  |  –   –   नि  सां | ध  नि  ध  ध  |  ध   ग  –  मे   
श्या म  जी  –  |  –   –   गो  री |  पे   –    –  प  |  ह   न   –  ल
 
1   2   3   4   |  5    6    7   8  |  9  10 11 12 | 13 14 15 16 
ग   रे  सा  –  |  .नि  .ध  .नि  रे  | ग    –   ग   रे  |  ग  मे  ध  ध 
यी   –    –    – |   ये    –    न  यी | सा   –   री  स | खी स  हे  ली 
 
1   2   3   4  | 5  6  7  8  |  9  10 11 12 | 13 14 15 16 
ग  मे  ध  नि | ग  मे ध नि |  रें    –  सां  ग | मे   ध   नि  ध 
ह  सी  –  क | र   त दें गी | गा   –   री  रं  | ग   न   डा  रो
 
 1    2   3   4 | 5   6   7    8 |  9  10 11  
 रे     –   सां – |  –   –   नि  सां | ध  नि  ध 
श्या म  जी  – |  –   –   गो  री |  पे   –    – 
 
 
Antara 
 
1  2  3  4 |  5   6  7  8 |  9  10  11 12 | 13 14 15 16 
 –  –   –   – |  –   –   –   –  |  –    –    –   ग  | मे   ध   –   नि 
  –  –  –  –  |  –   –   –   –  |  –    –    –   कै | से  हो   –  खि  
 
1    2   3  4 |  5   6   7   8  |  9  10  11 12 | 13 14 15 16 
सां  –  सां  –  | नि  –  सां   रें  | नि  सां  ध  ध  | नि   रें  गं  रें 
ला  –  डी  –  | मा  –   न   त  | ना  ही  –   बर | जो  रि न क 
 
 1  2  3  4  |  5    6   7    8 | 9  10 11 12 | 13 14 15 16 
 में गं रें सां  | नि  सां  नि सां | ध  नि  ध  ग | मे    ध  नि  ध 
 रो –  –   –   | जा ओ  मै  तो | हा  री   –  रं |  ग    न  दा  रो
 
 
तालबद्ध तीनताल में 8 मात्रा की तानें:

8 मात्रा की तानें

  1. साग मंग रेसा गर्म । धर्म गर्म धनि सां ।
  2. गर्म गर्म गरे सा, नि। साग मेध निसां रेंसां ।

16 मात्रा की तानें

    1. सानि धनि मध निसां। धनि सारें निसां, गरें 1
How To Read Sargam Notes

कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • कोमल ग: ग(k) या 
  • कोमल रे: रे(k) या रे
  • कोमल ध: ध(k) या 
  • कोमल नि: नि(k) या नि

नोट: आप परीक्षाओं में (रेनि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।

तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • तीव्र म: म(t) या मे

स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।

तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।

मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।

  • उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि

तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।

    • उदाहरण: सां = तार सप्तक सा

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