राग काफी भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण राग है, जो अपनी अनूठी ध्वनि और विशेषताओं के लिए जाना जाता है। यह राग काफी थाट से उत्पन्न होता है और इसका प्रयोग विशेष रूप से ठुमरी और छोटे ख्याल में किया जाता है।

राग काफी का परिचय
काफी राग की रचना काफी थाट से मानी गई है। इसमें गन्धार (ग) और निषाद (नि) कोमल तथा अन्य स्वर शुद्ध लगते हैं। प वादी व रे सम्वादी माना जाता है। इसकी जाति सम्पूर्ण-सम्पूर्ण है। इसका गायन-समय मध्य रात्रि है।
Raag Kafi Aaroh Avroh & Pakad
- आरोह: सा रे ग म प ध नि सां
- अवरोह: सां नि ध प म ग रे सा
- पकड़: रे प म प ग रे, म म प ऽ
Raag Kafi Parichay
- थाट: काफी
- स्वर:
- कोमल: गन्धार (ग), निषाद (नि)
- शुद्ध: शेष स्वर
- वादी स्वर: पंचम (प)
- संवादी स्वर: ऋषभ (रे)
- जाति: सम्पूर्ण-सम्पूर्ण (आरोह और अवरोह दोनों में सातों स्वर)
- गायन समय: मध्य रात्रि
- न्यास के स्वर: सा, रे, और प
राग काफी की विशेषताएँ
राग काफी अपनी कई विशिष्ट विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है, जो इसे अन्य रागों से अलग बनाती हैं।
1. आश्रय राग – बिलावल और कल्याण रागों की तरह, राग काफी भी अपने थाट का एक महत्वपूर्ण आश्रय राग है। इसका प्रभाव अन्य रागों पर भी देखा जाता है।
2. चंचल प्रकृति – राग काफी की चंचलता इसे ठुमरी और छोटे ख्याल के लिए उपयुक्त बनाती है। इसके संगीत में चंचलता और लय का खास महत्व होता है।
- ठुमरी में प्रयोग: अधिकांश ठुमरियों में ब्रज की होली का वर्णन मिलता है, जो इसे विशेष रूप से फाल्गुन के महीने में प्रासंगिक बनाता है।
3. विवादी स्वरों का प्रयोग – राग की सुंदरता को बढ़ाने के लिए, कभी-कभी आरोह में शुद्ध ग और नि का प्रयोग किया जाता है। यह प्रयोग राग की ध्वनि को और अधिक मनोहारी बनाता है।
- उदाहरण:
- म ऽ प ध नि ऽ सां
- नि ध प म प ग रे
- रे ग म प ग रे
4. विशेष संगति – राग काफी में रे-प और प-ग की संगति का बार-बार प्रयोग होता है, जो इसकी विशेषता को और बढ़ाता है।
- आलाप उदाहरण: इसमें रे प म और प ग की संगति प्रमुखता से दिखाई देती है।
मिलते-जुलते राग
राग काफी का एक मिलते-जुलते राग है राग सिंदूरा, जो काफी के समान ध्वनि और स्वरूप में साम्यता रखता है।
राग काफी बंदिश – मानो मानो जी छैल नन्दलाल
Raag Kafi Sargam Geet
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KAFI RAAG BANDISH – STHAYI
– – – – | – – – – | – – – – | – – सा नि
ऽ ऽ ऽ ऽ | ऽ ऽ ऽ ऽ | ऽ ऽ ऽ ऽ | ऽ ऽ मा नो
० | ३ | x | २
सा रे रे रे | ग ग म म | प – – – | पम गरे सा नि
मा नो जी छै | ऽ ल न न्द | ला ऽ ऽ ऽ | ऽऽ ऽल, मा नो
० | ३ | x | २
सा रे रे रे | ग ग म म | प – -प म | प ध नि सां
मा नो जी छै | ऽ ल न न्द | ला ऽ ऽल मू | र ख मो री
० | ३ | x | २
नि ध प म | ग – रे – | रे नि ध ध | ध नि प ध
अं गि या भि| जो ऽ ई ऽ | कै सी पि च | का री मा री
० | ३ | x | २
नि नि नि नि | सां सां ग रे | सा ग रे म | ग – -रे रे नि
भी ग ग ई | सा री रं ग | डा रो न गु | ला ऽ ऽल मानो
० | ३ | x | २
Raag Kafi Bandish – Antara
म म प प | नि नि सां सां | सारें गं रें सां | रें नि सां सां
अ ब घ र | कै से जा ऊँ | साऽ ऽ स ल | ड़े ऽ गी ऽ
० | ३ | x | २
नि – नि नि | ध – म प | प – – – | – – – प
दे ऽ ख त | हैं ऽ ब्र ज | बा ऽ ऽ ऽ| ऽ ऽ ऽ ल
० | ३ | x | २
म म म प | – प नि नि | सां – नि सां | – सां सां सां
ल ल न फा| ऽ ग ब्र ज | धू ऽ म धा | ऽ म क रि
० | ३ | x | २
नि नि नि नि। ध ध पम म | प – प प | प ध नि सां
न ट व र | क र तऽ कु | चा ऽ ल ब | द न प र
० | ३ | x | २
नि ध प म | ग – रे – | रे नि ध ध | ध नि प ध
के ऽ स र | डा ऽ री ऽ | ऐ सी पि च | का री मा री
० | ३ | x | २
नि सां नि ध | प म ग रे | सा ग रे म | ग – –ग रे नि
की न्हीं ब र | जो री दे खो| म द न गो | पा ऽ ऽल, मानो
० | ३ | x | २
Raag Kafi Taan – 8 Matra
- रेग मप धनि सांरें | सांनि धप मग रेसा ।
- रेग मप मग रेसा । निध पम गरे सा- ।
- प- पम पध निसां । निध पम गरे सा- ।
- सांरें गंरें सांनि धप । मग रेसा रेम प-
- रेग मप धनि सांरें । सांनि धप मग रेसा ।
Raag Kafi Parichay
राग काफी भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक अमूल्य रत्न है। इसकी अनूठी ध्वनि, चंचलता और ठुमरी में इसके प्रभाव के कारण यह श्रोताओं को विशेष रूप से प्रभावित करता है। यह राग न केवल संगीतज्ञों के लिए बल्कि संगीत प्रेमियों के लिए भी एक विशेष स्थान रखता है।
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How To Read Sargam Notes
कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- कोमल ग: ग(k) या ग
- कोमल रे: रे(k) या रे
- कोमल ध: ध(k) या ध
- कोमल नि: नि(k) या नि
नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।
तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- तीव्र म: म(t) या मे
स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।
तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।
मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।
- उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि
तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।
- उदाहरण: सां = तार सप्तक सा