राग दुर्गा – Raag Durga Bandish with 8 Matra Taan

Raag Durga Parichay
Raag Durga Parichay

राग दुर्गा(Raag Durga) – परिचय, बंदिश, विशेषताएँ, आरोह-अवरोह, और आलोचना

राग दुर्गा का परिचय (Durga Raga) 

राग दुर्गा(Raag Durga) का संबंध बिलावल थाट से है, और इसमें गन्धार और निषाद स्वर का प्रयोग नहीं होता, जिसके कारण इसकी जाति औडव-औडव मानी जाती है। यह राग रात्रि के द्वितीय प्रहर में गाया और बजाया जाता है, और इसके सभी स्वर शुद्ध होते हैं

Raag Durga – राग दुर्गा आरोह और अवरोह
  • आरोह: सा रे म प ध सां
  • अवरोह: सां ध प म रे सा
  • पकड़: ध, म रे ऽ प, प ध म ऽरे, सारे ऽध सा
Raag Durga Parichay
  • थाट: बिलावल
  • जाति: औडव-औडव
  • वादी:
  • सम्वादी: रे
  • गान समय: रात्रि का द्वितीय प्रहर
  • स्वर: गन्धार और निषाद वर्जित (शुद्ध स्वर)

Durga Raag – राग दुर्गा की आलोचना

राग दुर्गा (Durga Raag) के वादी और सम्वादी स्वरों को लेकर विद्वानों में कुछ मतभेद हैं। स्वर्गीय पं. विष्णु नारायण भातखंडे और उनके अनुयायी इस राग में को वादी और सा को सम्वादी मानते हैं, लेकिन इस विचार से कुछ लोग सहमत नहीं हैं। आइए, इस विषय पर गहराई से विचार करते हैं:

  1. राग समानता:
    राग जलधर केदार, जो राग दुर्गा के समान ग और नि वर्जित राग है, में और सा को वादी-सम्वादी माना जाता है। यदि दोनों रागों के स्वर और वादी-सम्वादी समान हैं, तो उनके बीच भिन्नता कैसे हो सकती है? इस प्रश्न का उत्तर राग की चलन में मिल सकता है, परन्तु चलन मुख्यतः स्वरों और वादी-सम्वादी पर आधारित होती है।

  2. स्वर महत्त्व:
    दुर्गा राग में की तुलना में धैवत अधिक महत्वपूर्ण है। धैवत पर अधिक न्यास होने से राग की विशिष्टता बनी रहती है, जबकि मध्यम पर न्यास करने से जलधर केदार की छाया आ सकती है।

  3. स्वर संगति:
    यदि को वादी और रे को सम्वादी मानें, तो रे-ध की संगति अधिक स्पष्ट होती है, जो दुर्गा राग के लिए आवश्यक है। अतः ध को वादी और रे को सम्वादी मानने से राग की पकड़ निम्नलिखित होनी चाहिए:राग दुर्गा पकड़: ध, म रे ऽ प, ध म ऽरे, सारे ध सा

राग दुर्गा की विशेषताएँ ( Raga Durga)

  1. दक्षिण भारतीय राग:
    दक्षिण भारत में दुर्गा के समान राग को शुद्ध सावेरी कहते हैं।

  2. दुर्गा के दो प्रकार:
    दुर्गा नामक राग दो प्रकार के होते हैं—बिलावल और खमाज थाट से उत्पन्न। बिलावल थाट से उत्पन्न प्रकार अधिक प्रचलित है।

  3. स्वर संगति:
    दुर्गा राग में ध म, रे प, और रे ध की संगति विशेष होती है।

  4. उत्तरांग प्रधान राग:
    दुर्गा राग को उत्तरांग प्रधान माना जाता है।

  5. न्यास के स्वर:
    म को छोड़कर सभी स्वर न्यास के लिए प्रयोग होते हैं।

समप्रकृति राग

  • जलधर केदार:
    राग दुर्गा (Raag Durga) का समप्रकृति राग जलधर केदार है, जिसमें ग और नि स्वर वर्जित होते हैं, और इसमें भी म और सा को वादी-सम्वादी माना जाता है।

राग दुर्गा बंदिश – Raag Durga Bandish

Raag Durga Notes – Sthayi

रे  प  प  ध | म  प  ध  प | ध  –   म  प | म  रे सा सा
दे  ऽ वि  दु | ऽ  र्गे  ऽ  द | या ऽ  नि  द | या ऽ क रो
0               |3               | X                |2

रे  ध सा रे | म प  ध सां | धसां रेंसां  ध  म | प म रे सा |
ज ग  ज न |नि ज न की |  बेऽ  ऽऽ  गि व्य| था ऽ ह रो
0               |3               | X                |2

Raag Durga Notations – Antara

घ म प ध | सां सां – सां | सां – सां सां | सां रें सां सां
व र दा ऽ |  ऽ नि  ऽ भ |  वा ऽ नि  दु |  ख ह र  नि
0            |3               | X                |2

रें मं रें सां | ध सां ध म | रे  म प ध | म रे सा सा
दा – निम | हा ऽ नि रा | ऽ म रं ग |आ ऽ यो श
0            |3               | X         |2

म रे प म| ध प सां ध |धसां रेंसां ध प | प म रे सा |
र न च  र| न न  ते रो |माऽ  ऽऽ  तु द |या ऽ क रो
0           |3             | X                 |2

राग दुर्गा तान – ८ मात्रा

Raag Durga Taan – 8 Matra 

१- सारे मप धसां धप । मप धप मम रेसा ।
२- मप धसां रेंम रेंसां । धसां धप मम रेसा ।
३- सारे धसा धप मप । धसां धप मम रेसा ।
४- पप मम रेसा सांसां । धप मप मम रेसा ।

How To Read Sargam Notes

कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • कोमल ग: ग(k) या ग
  • कोमल रे: रे(k) या रे
  • कोमल ध: ध(k) या ध
  • कोमल नि: नि(k) या नि

नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।

तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • तीव्र म: म(t) या मे

स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।

तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।

मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।

  • उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि

तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है

  • उदाहरण: सां = तार सप्तक सा

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