राग दरबारी: Raag Darbari parichay & bandish

राग दरबारी कान्हड़ा: आसावरी थाट से उत्पन्न, गंभीर और मधुर स्वरों से युक्त एक गहरा और शास्त्रीय राग।”

Raag Darbari Parichay

Raag Darbari Parichay

Raag Darbari Kanada – राग दरबारी आसावरी थाट से उत्पन्न हुआ है। वादी स्वर ऋषभ व सम्वादी स्वर पंचम को मन गया है। इस राग की जाती सम्पूर्ण – षाडव मानी गयी है, इसे वक्र सम्पूर्ण जाति का राग भी कहा जाता है। इस  राग को मध्यरात्रि में गाया बजाया जाता हैं। इस राग की प्रकृति गंभीर है। आरोह में गांधार दुर्लभ है, इस राग में निषाद और पंचम की संगति बहुत सूंदर दिखाई देती है। 

राग दरबारी आरोह अवरोह

  • आरोह – .नि  सा रे  रे सा , म प  नि सां 
  • अवरोह – सां  नि प म प  म रे सा 
 

राग दरबारी परिचय

  • पकड़ – ग रे रे, सा ध नि सा रे सा 
  • थाट – आसावरी
  • जाति  – सम्पूर्ण – षाडव
  • वादी – ऋषभ (रे)
  • संवादी – पंचम (प)
  • गायन समय – मध्यरात्रि
 

राग दरबारी विशेषताएँ

  • ग और ध अन्दोलित होते है। 
  • ग म रे सा तथा ध नि प कानड़ा का अंग है। 
  • इसकी चलन मद्र मध्य में ज्यादा है। 
  • ग और ध वक्र है। 
  • गंभीर प्रकृति का राग है 

Raag Darbari Bandish

 
 

स्थायी

 रे  ー  सा  सा  |  सा  रे  ー  रे  |    ー  ー  म |  रे  ー सा  ー | 
जो ー   गु   रु   |  कृ  पा ー क |  रे  ー ー  ー | ー  ー  ー  ー| 
0                   | 3                   | x                | 2 
 
 
 
 म  ー   म   म  | प  ー  प    प  |  म  मप  प  नि |    म  रे  सा | 
को  ー  टि   क | पा ー  प   का |  ट   त प  ल  | छी  न  म  ー  | 
0                    | 3                  | x                   | 2 
 
 
 
 रे  ー  सा  सा  |  सा   रे  ー   रे  |    ー ー म |  रे  ー सा  ー | 
जो  ー  गु   रु   |  कृ  पा  ー  क |  रे  ー ー ー |  ー ー ー ー | 
0                   | 3                  | x                 | 2 
 
 

अंतरा

 
म  म   प  ー  | नि   प   नि  ー | सां  सां  सां  ー  |  नि  सां  सां  ー
गु  रु  की  ー |  म   हि  मा  ー |  ह   रि   सों  ー |  भा  ー   रि ー
0                | 3                  | x                     | 2 
 
 
नि  सां   सां   सां  |  रें  ー  सां   सां |  नि   नि   सां   रें |    नि   प  ー 
 वे  ー   द     पु   | रा  ー   न     न |  स    ब   हिं   वि | चा  ー  री  ー
 0                      |  3                   |   x                   |  2 
 
 
सां ー  सां  ー |  म  ー  प  नि  |    म  रे  सा |  रे    रे  सा  ー | 
 ब्र  ー म्हा  ー | व्या ー स   र  |  टे  ー प  ल  | छि  न   में ー | 
 0                |  3                 |  x                |  2 
 
 
रे  ー  सा  सा  |  सा   रे  ー   रे  |    ー ー म |  रे  ー सा  ー | 
जो  ー  गु   रु  |  कृ  पा  ー  क |  रे  ー ー ー |  ー ー ー ー | 
0                   | 3                  | x                 | 2 
 

Raag Darbari Taan –  राग दरबारी तान – 16 मात्रा

 
  • सा ー .नि सा | रे ー सा ー | .निसा रेसा . .नि  |  रे ー ー ー
  • म प निध  ー | नि ー प ー |   म  प     ー      |  म रे ー ー
  • सा  रे    ー  | म  रे ー सा |  .नि  सा  .  .नि   |   रे ー ー ー 
  • म   प     ー | नि ー  प ー|  सां  ー    ー    |  नि ー प ー
  • म   प    ー  | नि ー सां ー|  नि   सां   रें   सां  |  रें ー सां ー

Raag Darbari Taan –  राग दरबारी तान – 16 मात्रा

  • सां  ー    ー  |   नि  ー  प  ー  |  म  प    म  |  रे  ー  सा  ー
  • सां  ー  नि  सां  |   रें  ー  सां  ー |  सां  रें  गं ー |  मं   रें  ー  सां
 
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How To Read Sargam Notes

कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • कोमल ग: ग(k) या
  • कोमल रे: रे(k) या रे
  • कोमल ध: ध(k) या
  • कोमल नि: नि(k) या नि

नोट: आप परीक्षाओं में (रे, , , नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।

तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • तीव्र म: म(t) या मे

स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।

तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।

मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।

  • उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि

तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।

    • उदाहरण: सां = तार सप्तक सा

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