Raag Bihag aur Raag Kalyan Me Tulna – राग बिहाग और राग कल्याण

राग बिहाग और राग कल्याण की तुलना

Raag Bihag aur Raag Kalyan Me Tulna, के माध्यम से जानें राग बिहाग और राग कल्याण में अंतर, समानता और विशेषता। संगीत प्रेमियों के लिए एक गहन तुलना।

Raag Bihag aur Raag Kalyan Me Tulna
राग बिहाग और कल्याण की तुलना: समता और विभिन्नता
राग बिहाग और राग कल्याण में समानता (Similarities between Raag Bihag and Raag Kalyan)

राग बिहाग और राग कल्याण दोनों हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रमुख राग हैं। इन दोनों रागों के बीच निम्नलिखित समानताएँ पाई जाती हैं:

  1. चालन: दोनों रागों की चालन मंद्र ‘नि’ से प्रारम्भ होती है। राग कल्याण में ‘नि रे ग’ से आलाप की शुरुआत होती है, जबकि राग बिहाग में ‘नि सा ग’ से।

  2. थाट: एक मतानुसार, दोनों ही राग कल्याण थाट के अंतर्गत आते हैं। राग कल्याण तो कल्याण थाट का ही है, लेकिन कुछ विद्वान राग बिहाग को तीव्र ‘म’ के प्रयोग के कारण बिलावल थाट के बजाय कल्याण थाट का राग मानते हैं।

  3. अवरोह: दोनों रागों का अवरोह सम्पूर्ण है।

  4. वादी-सम्वादी स्वर: दोनों रागों में ‘ग’ वादी और ‘नि’ सम्वादी स्वर माने जाते हैं।

  5. न्यास के स्वर: दोनों रागों में ‘सा’, ‘ग’, ‘प’, और ‘नि’ पर न्यास होता है।

  6. प्रकृति: दोनों राग गम्भीर प्रकृति के होते हैं, अतः इनमें ठुमरी नहीं गाई जाती। इनकी चालन तीनों सप्तकों में होती है।

  7. पूर्वांग प्रधान: ये दोनों ही पूर्वांग प्रधान राग हैं, जिसमें ‘सा’ से ‘प’ तक के स्वरों में वादी स्वर चुना गया है।

  8. गायन-समय: दोनों का गायन-समय रात्रि का प्रथम प्रहर है।

राग बिहाग और राग कल्याण में विभिन्नता(Differences between Raag Bihag and Raag Kalyan)

राग बिहाग और राग कल्याण के बीच निम्नलिखित विभिन्नताएँ हैं:

  1. थाट: राग बिहाग बिलावल थाट का और राग कल्याण अथवा यमन, कल्याण थाट का राग है।

  2. थाट के विषय में मतभेद: राग बिहाग के थाट के विषय में मतभेद है, जबकि राग कल्याण के थाट के विषय में कोई मतभेद नहीं है।

  3. आश्रय और जन्य राग: राग कल्याण अपने थाट का आश्रय राग है, जबकि राग बिहाग आश्रय राग नहीं है, बल्कि जन्य राग है।

  4. जाति: राग बिहाग औड़व-सम्पूर्ण और राग कल्याण सम्पूर्ण जाति का राग है।

  5. अवरोह में स्वर: यद्यपि दोनों का अवरोह सम्पूर्ण है, राग बिहाग के अवरोह में ‘रे’ और ‘ध’ स्वर दुर्बल होते हैं, जबकि राग कल्याण के अवरोह में ये स्वर प्रबल होते हैं।

  6. गायन समय: कुछ विद्वान राग कल्याण का गायन समय रात्रि का दूसरा प्रहर मानते हैं।

  7. तीव्र ‘म’ का प्रयोग: राग बिहाग में तीव्र ‘म’ का प्रयोग विवादी स्वर के रूप में किया जाता है, जबकि राग कल्याण में तीव्र ‘म’ अनुवादी स्वर के रूप में आवश्यक है।

  8. महत्वपूर्ण स्वर: राग कल्याण अथवा यमन में तीव्र ‘म’ जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही राग बिहाग में शुद्ध ‘म’ महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए आलाप में इसका प्रयोग देख सकते हैं।

  9. पंचम का प्रयोग: यद्यपि दोनों रागों की चालन अधिकतर मंद्र ‘नि’ से प्रारम्भ होती है, राग कल्याण के आरोह में अक्सर पंचम स्वर वर्ज्य कर दिया जाता है, जैसे ‘नि रे ग ऽमं ध नि’, जबकि राग बिहाग के आरोह में कभी भी पंचम स्वर वर्ज्य नहीं किया जाता।

  10. संगति: राग कल्याण में ‘प रे’ की संगति बहुत महत्वपूर्ण होती है, जैसे ‘नि रे ग मं प रे नि रे सा’, जबकि राग बिहाग में ‘प रे’ का प्रयोग कभी नहीं होता।

दोनों रागों का हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में अपना-अपना महत्व और सौंदर्य है। इनके माध्यम से गायन और वादन कला को एक नई ऊँचाई दी जाती है।

नमस्कारम् 🙏🏻
राग बिहाग और कल्याण: एक तुलना

राग बिहाग और राग कल्याण दोनों ही हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रतिष्ठित राग हैं। इन दोनों रागों की समानताएँ यह हैं कि दोनों का अवरोह सम्पूर्ण है, दोनों गम्भीर प्रकृति के हैं, और दोनों का गायन-समय रात्रि का प्रथम प्रहर है। वादी-सम्वादी स्वर ‘ग’ और ‘नि’ दोनों में समान होते हैं।

विभिन्नताओं में, राग बिहाग बिलावल थाट का और राग कल्याण कल्याण थाट का राग है। राग बिहाग औड़व-सम्पूर्ण जाति का है, जबकि राग कल्याण सम्पूर्ण जाति का राग है। राग बिहाग में तीव्र ‘म’ विवादी स्वर के रूप में प्रयुक्त होता है, जबकि राग कल्याण में यह अनुवादी स्वर के रूप में आवश्यक होता है। राग बिहाग के आरोह में पंचम कभी वर्ज्य नहीं होता, जबकि राग कल्याण के आरोह में पंचम वर्ज्य किया जा सकता है।

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