Raag Bhairav Parichay
इस पोस्ट में, हम राग भैरव का परिचय (Raag Bhairav Parichay) प्रस्तुत करते हैं, जिसमें Bhairav Raag Notes, Raag Bhairav Taan, और एक आकर्षक राग भैरव बंदिश (Raag Bhairav Bandish) “जागो मोहन प्यारे” के बारे में भी जानकारी मिलेगी, जो नोटेशन के साथ पूरी होगी।
राग भैरव परिचय
Bhairav Raga – राग भैरव की उत्पत्ति भैरव थाट से मानी गई है। इस राग में ऋषभ(रे) और धैवत(ध) स्वर कोमल लगते हैं। राग भैरव को प्रातःकाल 4 से 7 बजे तक गाया-बजाया जाता है, और यह सम्पूर्ण जाति का राग है। अर्थात्, इसके आरोह-अवरोह दोनों में सातो स्वर प्रयोग किये जाते हैं।
राग भैरव आरोह अवरोह व पकड़
- आरोह: सा रे ग म प ध नि सां
- अवरोह: सां नि ध प म ग रे सा
- पकड़: ग म ध ध प, म प ग म रे रे सा

Raag Bhairav Parichay
- थाट: भैरव
- स्वर:
- कोमल: ऋषभ(रे) & धैवत(ध)
- शुद्ध: सा ग म प नि
- वादी स्वर: धैवत (ध)
- संवादी स्वर: ऋषभ(रे)
- जाति: सम्पूर्ण – सम्पूर्ण
- गायन समय: प्रातःकाल – प्रथम प्रहर
Raag Bhairav Bandish – जागो मोहन प्यारे
Bhairav Raag Notes – स्थायी
–
ग म ध – | प – ध म | मप धप म प | म – ग –
जा ऽ गो ऽ | मो ऽ ह न | प्याऽ ऽऽ ऽ ऽ | रे ऽ ऽ ऽ
ग म ग रे | ग म प प | म ग म ग | रे रे सा –
सां व रि सू | र त मो रे | म न ऽ ऽ | भा ऽ ये ऽ
सा रे ग म | प – ध प | पध निसां नि सां | ध प धप म
सुँ ऽ द र | श्या ऽ म ह | माऽ ऽऽ ऽ ऽ | रे ऽ ऽऽ ऽ
0 | 3 | X | 2
Raag Bhairav Notation – अंतरा
–
म – म म | प प ध ध | प ध सां नि | सां सां सां सां
प्रा ऽ त स | म य उ ठ | भा ऽ नु उ | द य भ ये
ध – ध नि | सां सां सां सां |नि सां रे सां | ध – प –
ग्वा ऽ ल बा | ऽ ल स ब | भू ऽ प ति | आ ऽ ये ऽ
प ध प म | ग म गम प | म ग म ग | रे – सा –
तु म्ह रे द | र श केऽ ऽ | का ऽ र ज | ठा ऽ ढ़े ऽ
सा रे ग म | प – प ध | पध निसां नि सां | ध प धप म
उ ठि उ ठि |नं ऽ द कि | शोऽ ऽऽ ऽ ऽ | र ऽ ऽऽ ऽ
0 | 3 | X | 2
Raag Bhairav Taan – 8 Matra
- सारे गम पम गम | पम गम गरे सा-
- पम गम रेरे सा | सारे गम रेरे सा-
- सारे गम पध निसां | सांनि धप मग रेसा
- धप मप गम गरे | गम धप मग रेसा
- गम धप गम धनि | सांनि धप मग रेसा
राग भैरव की विशेषताएँ
1. थाट का आश्रय राग
यह राग अपने थाट का आश्रय राग है। यही नाम इसके थाट को भी दिया गया है, जो इसे विशिष्ट बनाता है।
2. संधि-प्रकाश राग
इस राग का गायन-समय प्रातःकाल 4 से 7 बजे तक है, इसलिए इसे संधि-प्रकाश राग कहा गया है। संधि-प्रकाश का समय सुबह 4 से 7 बजे तक होता है।
3. आंदोलन के स्वर
इस राग के ऋषभ व धैवत पर आंदोलन किया जाता है। उदाहरण के लिए:
- ग म रे ऽ रे सा
- ग म ध ऽध ऽ प
4. गंभीर प्रकृति
राग भैरव एक गंभीर प्रकृति का राग है। इसमें विलम्बित और द्रुत ख्याल, तराना तथा ध्रुपद गाये जाते हैं, लेकिन इसमें ठुमरी नहीं गाई जाती।
5. प्राचीन राग
राग भैरव एक प्राचीन राग है। इसके कई प्रकार प्रचलित हैं जैसे, अहिर भैरव, आनन्द भैरव आदि।
6. पंचम वर्ज्य आरोह
कभी-कभी इसके आरोह में पंचम स्वर को वर्ज्य कर दिया जाता है, उदाहरण के लिए:
- ग म घु(k) ऽधु(k) नि सां
7. वक्र गंधार अवरोह
अवरोह में अक्सर गंधार स्वर को वक्र किया जाता है, जैसे:
- म प ग म रे(k) ऽसा
न्यास के स्वर
राग भैरव में न्यास के स्वर इस प्रकार हैं:
- सा, रे, प और ध
मिलते-जुलते राग
राग भैरव के मिलते-जुलते रागों में कालिंगडा और रामकली शामिल हैं।
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How To Read Sargam Notes
कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- कोमल ग: ग(k) या ग
- कोमल रे: रे(k) या रे
- कोमल ध: ध(k) या ध
- कोमल नि: नि(k) या नि
नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।
तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- तीव्र म: म(t) या मे
स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।
तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।
मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।
- उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि
तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।
- उदाहरण: सां = तार सप्तक सा
नमस्कारम् 🙏🏻
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