ग्वालियर घराना (परिचय) – Gwalior Gharana

ग्वालियर घराने का परिचय, ग्वालियर घराने की विशेषताये व ग्वालियर घराने के सस्थापक

 

ग्वालियर घराना ( Gwalior Gharana )
 

 

Gwalior Gharanaग्वालियर घराना हिंदुस्तानी संगीत का सबसे प्राचीन घराना है। 

हस्सू खाँ, हद्दू खाँ के दादा उस्ताद नत्थन पीरबख्श को इस घराने का जन्मदाता कहा जाता है।
दिल्ली के राजा ने इनको अपने पास बुला लिया था। इनके दो पुत्र थे-कादिर बख्श और पीर बख्श। 
इनमें कादिर बख्श को ग्वालियर के महाराज दौलत राव जी ने अपने राज्य में नौकर रख लिया था। कादिर बख्श के तीन पुत्र थे जिनके नाम इस प्रकार हैं- हद्दू खाँ, हस्सू खाँ और नत्थू खाँ। 
ये तीनों भाई मशहूर ख्याल गाने वाले और ग्वालियर राज्य के दरबारी उस्ताद थे। इसी परम्परा के शिष्य बालकृष्ण बुआ इचलकरजीकर थे। 
इनके शिष्य पं. विष्णु दिगम्बर पलुस्कर थे। पलुस्कर जी के प्रसिद्ध शिष्य ओंकारनाथ ठाकुर, विनायक राव पटवर्धन, नारायण राव व्यास तथा वीणा सहस्रबुद्धे हुए जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत का खूब प्रचार किया।
 
 
गायन शैली

इस घराने की एक विशिष्ट विशेषता इसकी सरलता है: अस्पष्ट रागों के बजाय सुप्रसिद्ध रागों (मधुर विधाओं) का चयन किया जाता है और सपाट (सीधी) तानों (तेज़ मधुर क्रम) पर ज़ोर दिया जाता है। राग की सुंदरता और अर्थ को बढ़ाने के लिए कुछ सीमित राग विस्तार (मधुर विस्तार) और अलंकार (मधुर अलंकरण) होते हैं, लेकिन किराना की तरह धीमी गति वाला अलाप नहीं होता और राग की पहचान को अस्पष्ट करने या जटिलता जोड़ने के लिए तिरोभाव या मधुर वाक्यांशों को शामिल करने का कोई प्रयास नहीं किया जाता। जब घराना का प्रदर्शन किया जाता है, तो बंदिश (रचना) महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह राग की धुन और उसके प्रदर्शन के संकेत प्रदान करती है। बोल-बांट ( बंदिश के शब्दों का उपयोग करके लयबद्ध वादन ) करते समय ग्वालियर शैली स्थाई या अंतरा के सभी शब्दों का उचित क्रम में उपयोग करती है, उनके अर्थ को प्रभावित किए बिना।

 
ग्वालियर घराने के संस्थापक
हद्दू खाँ, हस्सू खाँ और नत्थू खाँ को ग्वालियर घराने का संस्थापक माना जाता है 
 
 
ग्वालियर घराने की विशेषतायें
 
1. खुली आवाज़ का गायन
2. ध्रुपद अंग का गायन
3. अलापों का निराला ढंग
4. सीधी सपाट तानों का प्रयोग
5. गमक का प्रयोग
6. बोल तानों का विशेष प्रयोग
 
ग्वालियर घराना
ग्वालियर घराना

 

 

ग्वालियर घराने के प्रतिपादक
बालकृष्ण बुआ इचलकरजीकर
विष्णु दिगम्बर पलुस्कर
ओंकारनाथ ठाकुर
विनायक राव पटवर्धन
नारायण राव व्यास
वीणा सहस्रबुद्धे
 
 
 

संगीत के विषय में यदि आपका कोई सुझाव या सवाल है तो कृपया COMMENT BOX में बताये। 

नमस्कारम् 🙏🏻

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

error: Content is protected !!
Scroll to Top