Raag Asawari
इस पोस्ट में, हम राग असावरी का परिचय (Raag Asavari Parichay) प्रस्तुत करते हैं, जिसमें Asavari Raag Notes, Raag Asavari Taan, और एक आकर्षक राग असावरी बंदिश (Raag Asavari Bandish) “अरे मन समझ समझ” के बारे में भी जानकारी मिलेगी, जो नोटेशन के साथ पूरी होगी। राग आसावरी भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक प्रमुख राग है। इस राग की विशेषता इसकी मधुरता और अद्वितीयता में निहित है। आइए, इस राग के बारे में विस्तार से समझें।
राग आसावरी का परिचय
Raag Asavari – राग आसावरी अपने नाम वाले थाट आसावरी से उत्पन्न माना गया है। इस राग में ग, ध, और नि स्वर कोमल होते हैं। इसका वादी स्वर धैवत और संवादी गंधार है। आरोह में ग और नि का प्रयोग वर्जित है, इसलिए राग आसावरी की जाति औडव-सम्पूर्ण है। इस राग का गायन समय दिन का दूसरा प्रहर है।
राग आसावरी आरोह और अवरोह
- आरोह: सा रे म प ध सां(ग और नि का प्रयोग वर्जित है)
अवरोह: सां नि ध प, म प ध म प ग ~ रे सा
राग आसावरी पकड़
- पकड़: म प ध म प ग, रे सा
राग आसावरी का परिचय
- थाट: आसावरी
- स्वर: ग, ध, और नि कोमल
- वादी स्वर: ध
- संवादी स्वर: ग
- जाति: औडव-सम्पूर्ण (आरोह में पाँच स्वर, अवरोह में सातों स्वर)
राग आसावरी विशेषता
कोमल ऋषभ की आसावरी: जब संगीतज्ञ इसमें शुद्ध ऋषभ के स्थान पर कोमल ऋषभ का प्रयोग करते हैं, तो इसे कोमल ऋषभ की आसावरी कहा जाता है।
मध्यम का वक्र प्रयोग: अवरोह में मध्यम का वक्र प्रयोग होता है, जैसे: सां, नि, ध, प, म, प, ध, म, प, ग, रे, सा।
गंधार की संगति: इस राग में प ग की संगति का बार-बार प्रयोग किया जाता है, जो इसकी सुंदरता को बढ़ाता है।
आलाप: राग आसावरी में आलाप करते समय इसकी पूर्वांग और मंद्र सप्तक की चलन विशेष ध्यान देने योग्य होती है। उदाहरण के लिए, निम्नलिखित आलाप राग की विशेषताओं को उजागर करता है:
- सा, रे, ग, म, प, ध, नि, सां
- सां, नि, ध, प, म, प, ध, म, प, ग, रे, सा
Raag Asavari Bandish – अरे मन समझ समझ
Raag Asavari Notes – स्थायी
म म प सां | ध प पध मप | ग रे म म | प प प – |
अ रे म न | स म झ- स- | म झ प ग | ध रि ये – |
2 | 0 | 3 | x
ध म प प | ध ध ध प | ध म पध मप | ग ग रे सा |
अ रे म न | इ स ज ग | में – न- हीं-| अ प ना – |
2 | 0 | 3 | x
रे – सा – | सा सा गं – | रें – सं – | रें नि ध प |
को – ई –| प र छा – | ई – सों –| ड रि ये – |
2 | 0 | 3 | x
Raag Asavari Notes – अंतरा
म – प प | ध ध ध – | सां सां सां सां | रें नि सां – |
दौ – ल त | दु नि या – | कु टु म्ब क | बी – ला – |
2 | 0 | 3 | x
ध ध ध – | सां – सां सां | गं गं रें सां | रें नि ध प |
इ न सों –| ने – ह न | क ब हू – | क रि ये – |
2 | 0 | 3 | x
प ध नि ध | – प पध मप | ग – रे सा | रे – सा – |
रा – म ना | – म सु- ख- | ध – म ज | ग त प ति |
2 | 0 | 3 | x
सा सा गं गं | रें – सां सां | रें नि ध प | ध म प सां |
सु मि र न | से – ज ग | त रि ये – | अ रे म न |
2 | 0 | 3 | x
Raag Asawari – राग आसावरी तान – [ 8 मात्र ]
- सारे मप निनि धप । मप धप मग रेसा ।
- सारे मप धसां रेंसां । निध पम गरे सा- ।
- मप धसां रेंगं रेंसां । निध पम गरे सा- ।
- निनि धप मप निनि। धूप मग रेसा निसा ।
- सांरें गरें सांनि धप । मप धुप मग्र रेसा ।
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How To Read Sargam Notes
कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- कोमल ग: ग(k) या ग
- कोमल रे: रे(k) या रे
- कोमल ध: ध(k) या ध
- कोमल नि: नि(k) या नि
नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।
तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- तीव्र म: म(t) या मे
स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।
तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।
मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।
- उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि
तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।
- उदाहरण: सां = तार सप्तक सा
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