होली लोकगीत, भजन, और गीत: भारतीय शास्त्रीय संगीत के विशेष प्रकार

होली लोकगीत : कृष्ण की बृज की होली का वर्णन

होली, भजन, और गीत: भारतीय शास्त्रीय संगीत के विशेष प्रकार
होली, भजन, और गीत

होली लोकगीत, ठुमरी के समान शैली में गाए जाते हैं और सामान्यतः दीपचंदी ताल में होते हैं। ये मुख्यतः काफी राग में प्रस्तुत किए जाते हैं। होली गीतों में कृष्ण और बृज की होली का सुंदर वर्णन मिलता है। इस प्रकार के गीतों में मीड, खटका, कण, और मुर्की जैसी अलंकरणों का विशेष महत्व होता है, जो गीत की खूबसूरती को बढ़ाते हैं।

भजन कि परिभाषा

भजन वे गीत होते हैं जिनमें ईश्वर की वंदना या भगवान के गुणों का वर्णन होता है। भजनों में मुख्य रूप से भक्ति और श्रद्धा की भावना प्रकट की जाती है।

गीत कि परिभाषा

गीत, दूसरी ओर, वे साहित्यिक कविताएँ हैं जिन्हें स्वर और लय में बांधकर प्रस्तुत किया जाता है। ये गीत किसी भी साहित्यिक विषय पर हो सकते हैं और इन्हें कवियों की रचनाओं के रूप में देखा जा सकता है।

दोनों, भजन और गीत, में राग का बंधन नहीं होता है, यानि ये किसी विशेष राग में बंधे होने की आवश्यकता नहीं होती। अगर कोई भजन या गीत राग में गाया जाता है तो यह अच्छी बात है, लेकिन राग की अनुपस्थिति से कोई हानि नहीं होती। राग के अनुशासन से हटकर भी भजन या गीत गाए जा सकते हैं। ख्याल गायन के समान, अगर इनमें आलाप या तान की आवश्यकता होती है, तो उसका थोड़ा-बहुत अंश दिखा दिया जाता है।

ये गीत अधिकतर दादरा, कहरवा, तीनताल, और कभी-कभी रूपक और झपताल में गाए जाते हैं। मीड, कण, खटका आदि का प्रयोग भजन और गीतों की सुंदरता को और बढ़ा देता है। भजनों को सामान्यतः पोलू, भैरवी, खमाज, काफी, देश जैसे मधुर रागों में गाया जाता है, जबकि गीतों की रचना कविता के भावों के अनुरूप स्वरबद्ध की जाती है।

गीत और भजन में अंतर

गीत और भजन दोनों ही भारतीय संगीत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन इनके उद्देश्य, शैली और प्रस्तुति में महत्वपूर्ण अंतर होता है।

गीत –

  1. परिभाषा और उद्देश्य:
    • गीत एक व्यापक श्रेणी है, जिसमें विभिन्न प्रकार के भावनात्मक, साहित्यिक और मनोरंजन के लिए गाए जाने वाले गीत शामिल होते हैं।
    • गीत पवित्र (धार्मिक) और गैर-पवित्र (सामाजिक, प्रेम, देशभक्ति आदि) दोनों विषयों को संबोधित कर सकते हैं।
  2. प्रस्तुति:
    • गीतों को एकल गायक, समूह, या कई गायकों द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है।
    • गीतों में वाद्य संगत का उपयोग आमतौर पर किया जाता है, जो गीत की धुन और लय को बढ़ाता है।
  3. शैली:
    • गीतों की शैली विविध हो सकती है। इनमें शास्त्रीय, अर्ध-शास्त्रीय, लोक, फिल्मी, पॉप आदि शामिल हो सकते हैं।
    • गीत के बोल कविता के रूप में होते हैं, जो साहित्यिक सुंदरता को दर्शाते हैं।

भजन: भक्ति और श्रद्धा

  1. परिभाषा और उद्देश्य:
    • भजन विशेष रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक गीत होते हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य भगवान की वंदना, पूजा और गुणगान करना होता है।
    • भजन पवित्र विषयों पर ही आधारित होते हैं और इनका उद्देश्य भक्ति और श्रद्धा प्रकट करना होता है।
  2. प्रस्तुति:
    • भजन आमतौर पर समूह में गाए जाते हैं, जैसे कि मंडली या भजन मंडल।
    • भजनों में वाद्य संगत का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं होता। कई बार भजन बिना वाद्य संगत के भी गाए जाते हैं।
  3. शैली:
    • भजन सरल और भावपूर्ण होते हैं, जिनमें अधिकतर भारतीय शास्त्रीय संगीत के रागों का उपयोग होता है।
    • भजनों में मृदंग, हारमोनियम, झांझ आदि का प्रयोग होता है, जो भक्ति के भाव को और भी गहरा बनाते हैं।

मुख्य अंतर सारणीबद्ध रूप में:

तत्वगीतभजन
विषयपवित्र और गैर-पवित्र दोनोंकेवल पवित्र और धार्मिक
उद्देश्यमनोरंजन, साहित्यिक सुंदरताभक्ति, श्रद्धा और पूजा
प्रस्तुतिएकल, समूह, वाद्य संगत के साथसमूह में, वाद्य संगत के बिना भी
शैलीविविध (शास्त्रीय, लोक, पॉप)सरल, शास्त्रीय राग आधारित
वाद्य यंत्रआमतौर पर उपयोग होता हैउपयोग हो सकता है या नहीं भी

इस प्रकार, जबकि गीत एक व्यापक संगीत शैली है जो विभिन्न विषयों को कवर करती है, भजन विशेष रूप से भक्ति और धार्मिक गीत होते हैं, जो पवित्रता और आध्यात्मिकता पर केंद्रित होते हैं।

निष्कर्ष: भजन और गीतों में राग का होना आवश्यक नहीं होता, लेकिन अगर वे राग में गाए जाते हैं, तो यह संगीत के भाव को और भी समृद्ध कर देता है।

For More Raag

THANK-YOU

आपका हमारी पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद! हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए लाभदायक रही होगी। यदि आप इस पोस्ट में किसी भी प्रकार की त्रुटि पाते हैं, तो कृपया हमें कमेंट करके बताएं। हम अपनी त्रुटियों को सुधारने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।

हमारा उद्देश्य है कि हम आपको भारतीय शास्त्रीय संगीत की गहराइयों से परिचित कराएँ और आपके संगीत प्रेम को और अधिक समृद्ध बनाएँ। आपके सुझाव हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। यदि आप किसी विशेष राग की बंदिश या परिचय के बारे में जानना चाहते हैं, तो हमें अवश्य बताएं। हम आपकी जरूरतों के अनुसार अगली पोस्ट में उस राग की जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे।

आपके समर्थन और प्रोत्साहन के लिए हम आभारी हैं। कृपया जुड़े रहें और हमारी पोस्ट को अपने मित्रों और परिवार के साथ साझा करें।

धन्यवाद और शुभकामनाएँ!

प्रणाम 
IndianRaag.com

indianraag sahayata

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

error: Content is protected !!
Scroll to Top