प्रयाग संगीत समिति के पंचम वर्ष (Fifth Year) के पाठ्यक्रम में शास्त्रीय और क्रियात्मक दोनों प्रकार के संगीत का व्यापक अध्ययन और अभ्यास शामिल है। यहाँ पर इसका संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
prayag sangeet samiti syllabus – 5th Year (Vocals)
क्रियात्मक परीक्षा 100 अंकों की और एक प्रश्न-पत्र 50 अंकों का, पिछले वर्षों का पाठ्यक्रम भी सम्मिलित है.
Vocal Senior Diploma 5th Year Syllabus In Hindi
शास्त्र (THEORY)
1. पिछले पाठ्यक्रमों का विस्तृत अध्ययन: पिछले वर्षों में सीखे गए सभी राग, ताल, और संगीत के सिद्धांतों का पुनरावलोकन।
2. अनिबद्ध गान के प्राचीन प्रकार: रागालाप, रुपकालाप, आलाप्तिगान, स्वस्थान-नियम, विदारी, राग लक्षण, जाति-गायन और विशेषताएं, सन्यास-विन्यास, गायकी, नायकी, गान्धर्व गीत (देशी-मार्गी) पाठ्यक्रम के रागों में तिरोभाव-आविर्भाव और अल्पत्वा-बहुत्व दिखाना।
3. श्रुति-स्वर विभाजन: श्रुति-स्वर विभाजन के सम्बन्ध में सम्पूर्ण इतिहास को तीन मुख्या कालों में विभाजन (प्राचीन, मध्य, आधुनिक), इन तीनों कालों के ग्रंथकारों के ग्रन्थ और उनमें वर्णित मतों में समय और भेद, षडज पंचम भाव और आन्दोलन संख्या तथा तार की लम्बाई का सम्बन्ध, किसी स्वर की आन्दोलन-संख्या तथा तार की लम्बाई निकालना जबकि षडज की दोनों वस्तुएं प्राप्त हों. इसी, प्रकार तार की लम्बाई दी हुई हो तो आन्दोलन-संख्या निकालना, मध्यकालीन पंडितों और आधुनिक पंडितों के शुद्ध और विकृत स्वरों के स्थानों की तुलना उनके तार की लम्बाईयों की सहायता से करना।
4. सरल तालों में सरगम बनाना: विभिन्न रागों के सरल तालों में मन से सरगम तैयार करना।
5. रागों का विस्तृत अध्ययन: इस वर्ष के रागों के साथ-साथ मिलते-जुलते रागों का तुलनात्मक अध्ययन।
6. तालों का पूर्ण परिचय: तालों के ठेकों को विभिन्न लयकारियों में ताल-लिपि में लिखना और गणित द्वारा दुगुन-तिगुन निकालना।
7. गीतों की तिगुन-चौगुन स्वरलिपि: गीतों की तिगुन और चौगुन को स्वरलिपि में लिखने का अभ्यास।
8. निबंध के विषय: संराग और रस, संगीत और ललित कलाएं, संगीत और कल्पना, यवन संस्कृति का हिन्दुस्तानी संगीत पर प्रभाव, संगीत व उसका भविष्य, संगीत में वाद्यों का स्थान, लोक संगीत आदि।
9. स्वरलिपि लेखन: गीतों और तालों को स्वरलिपि में लिखने का अभ्यास।
10. महत्वपूर्ण संगीतज्ञों का जीवन परिचय: श्रीनिवास, रामामत्य, ह्रदय नारायण देव, मोहम्मद रज़ा, सदारंग-अदारंग के संगीत कार्य और योगदान का अध्ययन।
Prabhakar 5th Year Syllabus
क्रियात्मक (PRACTICAL)
1.लयकारियों का अभ्यास: जटिल लयकारियों का ताली देकर प्रदर्शन करना।
2. नोम-तोम आलाप का अभ्यास: नोम-तोम के आलाप पर विशेष ध्यान।
3. राग गायन: पुरिया, गौड़ मल्हार, छायानट, श्री, हिंडोल, गौड़ सारंग, विभास, दरबारी कान्हड़ा, तोड़ी, अड़ाना इन रागों में १-१ विलंबित और १-१ द्रुत ख्याल पूर्णतया सुंदर गायकी के साथ. किन्हीं दो रागों में एक-एक धमार और किन्हीं दो में से एक-एक ध्रुपद जिनमे दुगुन, तिगुन चौगुन और आड़ करना आवश्यक है.।
4. रागों का सूक्ष्म अध्ययन: तिरोभाव-आविर्भाव का क्रियात्मक प्रयोग।
5. तालों का अभ्यास: पंचम सवारी, गजझम्पा, अद्धा, मत्त और पंजाबी तालों को ठाह, दुगुन, चौगुन में ताली के साथ बोलना।
6. तबले पर तालों का अभ्यास: तीनताल, झपताल, चारताल, एकताल, कहरवा, और दादरा तालों का तबले पर साधारण अभ्यास।
Prayag Sangeet Samiti Syllabus 1st Year To 6th Year
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