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Vocal Junior Diploma 3rd Year Syllabus In Hindi

Vocal Junior Diploma 3rd Year Syllabus In Hindi – Prayag Sangeet Samiti Syllabus In Hind 3rd Year

Prayag Sangeet Samiti 3rd Year Junior Diploma Vocal Syllabus
तीसरे वर्ष में, छात्रों को तीनों सप्तकों के शुद्ध और विकृत स्वरों, लय ज्ञान, और तानपूरा मिलाने का उन्नत अभ्यास कराया जाता है। तिलक-कामोद, हमीर, केदार जैसे रागों में छोटे और बड़े ख्यालों, आलाप, तान, ध्रुपद और धमार पर गहन अभ्यास शामिल है। शास्त्रीय भाग में तानपूरा और तबले का ज्ञान, 22 श्रुतियों का विभाजन, राग-थाट सिद्धांत, और शार्ङ्गदेव और स्वामी हरिदास की जीवनियों का अध्ययन भी कराया जाता है।

परीक्षा संरचना:

प्रयाग संगीत समिति के त्रितीय वर्ष

क्रियात्मक

  1. स्वर ज्ञान:
    तीनों सप्तकों (मंद्र, मध्य, और तार) के शुद्ध और विकृत स्वरों का समुचित अभ्यास। कठिन स्वर-समूहों को गाना और पहचानने का उन्नत अभ्यास।

  2. अलंकार:
    अलंकारों को ठाह, दुगुन और चौगुन लयों में गाने का विशेष अभ्यास।

  3. तानपूरा मिलाना:
    तानपूरा मिलाने का ढंग जानना।

  4. लय ज्ञान:
    दुगुन, तिगुन, और चौगुन लयों का अधिक स्पष्ट और पक्का ज्ञान। आडलय का प्रारंभिक परिचय।

  5. गले के कण-स्वरों का अभ्यास:
    विशेष आलंकारिक स्वर-समूहों और खटकों का अभ्यास।

  6. रागों में ख्याल:
    तिलक-कामोद, हमीर, केदार, तिलंग, कलिंगड़ा, पटदीप, जौनपुरी, मालकोश और पीलू में एक-एक छोटा ख्याल, आलाप, तान और बोल-तान सहित।

  7. बड़ा ख्याल:
    बागेश्री, आसावरी, वृंदावनी सारंग, भीमपलासी, देश, जौनपुरी, हमीर, केदार, पटदीप, और मालकोश में से किन्हीं छह रागों में बड़ा ख्याल, आलाप, तान और बोल-तान सहित।

  8. ध्रुपद और धमार:
    उपर्युक्त रागों में से किन्हीं दो रागों में एक-एक ध्रुपद और किसी एक राग में एक धमार, दुगुन, तिगुन और चौगुन सहित।

  9. ताल अभ्यास:
    दीपचंदी, झुमरा, धमार, और तिलवाड़ा तालों के ठेकों को ठाह, दुगुन, तिगुन और चौगुन लयों में बोलना।

  10. राग पहचान:
    राग पहचान में निपुणता हासिल करना।

शास्त्र

    • तानपूरा और तबला:

      • तानपूरा और तबले का पूर्ण विवरण और उन्हें मिलाने का सम्पूर्ण ज्ञान।
      • आन्दोलन की चौड़ाई और उसका नाद के छोटे-बड़ेपन से सम्बंध।
      • 22 श्रुतियों का सात शुद्ध स्वरों में विभाजन (आधुनिक मत)।
      • प्रथम और द्वितीय वर्ष के पारिभाषिक शब्दों की स्पष्ट और पूर्ण परिभाषा।
      • थाट और रागों के विशेष नियम, श्रुति और नाद में सूक्ष्म भेद।
      • व्यंकटमखी के 72 थाटों की गणितानुसार रचना और एक थाट से 484 रागों की उत्पत्ति।
      • स्वर और समय के अनुसार रागों के तीन वर्ग (रे-ध कोमल, रे-ध शुद्ध, ग-नि कोमल वाले राग)।
      • संधि-प्रकाश राग, गायकों के गुण और अवगुण।
      • तानों के प्रकार: शुद्ध (सरल), कूट, मिश्रा, बोल-तान।
      • गमक, आड़, और स्थाई।
      • गीतों के प्रकारों का विस्तृत वर्णन: बड़ा ख्याल, धमार (होरी), टप्पा।
    • राग परिचय:

      • पाठ्यक्रम में शामिल रागों का पूर्ण परिचय, स्वर विस्तार और तान सहित।
    • ताल परिचय:

      • इस वर्ष और पिछले वर्ष के सभी तालों का पूर्ण परिचय।
      • ठेकों को दुगुन, तिगुन, और चौगुन लयों में ताल-लिपि में लिखना।
      • किसी ताल या गीत की दुगुन आदि आरम्भ करने के स्थान को गणित द्वारा निकालने की विधि।
    • स्वर-लिपि:

      • गीतों का स्वर-लिपि में लिखना।
      • धमार और ध्रुपद को दुगुन, तिगुन और चौगुन लयों में लिखना।
    • राग पहचान:

      • कठिन स्वर-समूहों द्वारा रागों की पहचान।
    • रागों की तुलना:

      • पाठ्यक्रम में शामिल सम प्रकृति रागों की तुलना।
    • स्वर-लिपि पद्धतियां:

      • भातखंडे और विष्णु दिगंबर स्वर-लिपि पद्धतियों का पूर्ण ज्ञान।
    • संगीतज्ञों की जीवनी:

      • शार्ङ्गदेव और स्वामी हरिदास की संक्षिप्त जीवनियाँ और उनके संगीत संबंधी कार्यों का परिचय।

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