Prayag sangeet samiti syllabus last year 2024
प्रयाग संगीत समिति के षष्ठम वर्ष (संगीत प्रभाकर) के सिलेबस में शास्त्र और क्रियात्मक अध्ययन शामिल हैं। इसमें रागों का विस्तृत परिचय, स्वरलिपि लेखन, अलाप-तान का अभ्यास, विभिन्न संगीतज्ञों का ज्ञान, और ताल लयकारी का समावेश है। यह सिलेबस विद्यार्थियों को शास्त्रीय संगीत की गहराई और उसकी तकनीकों में दक्षता हासिल करने में मदद करेगा।
Prayag Sangeet Samiti Syllabus for 6th Year – Sangeet Prabhakar
प्रथम प्रश्न पत्र (शास्त्र – Theory)
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रागों का विस्तृत अध्ययन:
- प्रथम से छठे वर्ष तक के सभी रागों का तुलनात्मक और सूक्ष्म परिचय।
- आलाप और तान आदि स्वरलिपि में लिखने का अभ्यास।
- समप्रकृति रागों में समानता और विभिन्नता को दिखाना।
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रागों में अल्पत्व-बहुत्व:
- विभिन्न रागों में अल्पत्व-बहुत्व का अध्ययन।
- अन्य रागों की छाया को दिखाते हुए आलाप-तान स्वरलिपि में लिखना।
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कठिन स्वर समूहों द्वारा राग पहचानना:
- लिखित स्वर समूहों द्वारा राग की पहचान करना।
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नई सरगम बनाना:
- दिए हुए रागों में नई सरगम बनाने का ज्ञान।
- कविता को राग में तालबद्ध करने का ज्ञान।
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धमार और ध्रुपद की स्वरलिपि लिखना:
- धमार और ध्रुपद को दुगुन, तिगुन, चौगुन, और आड़ लयकारियों में स्वरलिपि में लिखना।
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ताल लयकारी:
- ताल के ठेकों को विभिन्न लयकारियों में लिखने का अभ्यास।
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निबंध लेखन:
- संगीत के विभिन्न विषयों पर लेख, जैसे जीवन में संगीत की आवश्यकता, महफ़िल की गायकी, शास्त्रीय संगीत का जनता पर प्रभाव, रेडियो और सिनेमा-संगीत, पृष्ठ संगीत (background music), हिन्दुस्तानी संगीत और वृंदवादन, हिन्दुस्तानी संगीत की विशेषताये, स्वर का लगाव, संगीत और स्वरलिपि इत्यादि।
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संगीतज्ञों का परिचय:
- हस्सू-हद्दू खां, फैयाज़ खां, अब्दुल करीम खां, बड़े गुलाम अली, और ओंकारनाथ ठाकुर का जीवन और संगीत कार्य।
द्वितीय प्रश्न पत्र (शास्त्र – Theory)
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पिछले सभी वर्षों के शास्त्र विषयों का अध्ययन:
- शास्त्र संबंधित विषयों का विस्तृत अध्ययन।
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स्वर स्थानों की तुलना:
- मध्य कालीन तथा आधुनिक संगीतज्ञों के स्वर स्थानों की आन्दोलन-संख्याओं की सहायता तथा तार की लम्बाई की सहायता से तुलना. पाश्चात्य स्वर-सप्तक की रचना, सरल गुणान्तर और शुभ स्वर संवाद के नियम, पाश्चात्य स्वरों की आन्दोलन-संख्या, हिन्दुस्तानी स्वरों में स्वर संवाद, कर्नाटकी ताल पद्धति और हिन्दुस्तानी ताल पद्धति का तुलनात्मक अध्ययन. संगीत का संक्षिप्त क्रमिक इतिहास, ग्राम, मूर्छना (अर्थ में क्रमिक परिवर्तन), मूर्छना और आधुनिक थाट, कलावंत, पंडित, नायक, वाग्गेयकार, बानी (खंडार, डागुर, नौहार, गोबरहार), गीति, गीति के प्रकार, गमक के विविध प्रकार, हिन्दुस्तानी वाद्यों के विविध प्रकार. (तत, अवनद्ध, घन, सुषरी)।
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पाश्चात्य संगीत:
- पाश्चात्य स्वर सप्तक की रचना, गुणान्तर और शुभ स्वर संवाद के नियम, पाश्चात्य स्वरों की आन्दोलन-संख्या।
- तानपुरे से उत्पन्न होने वाले सहायक नाद, पाश्चात्य सच्चा स्वर-सप्तक (Diatonic Scale) को (Equally Tempered Scale) में परिवर्तित होने का कारन व विवरण, मेजर, माईनर और सेमिटोन, पाश्चात्य आधुनिक स्वरों के गुण-दोष, हारमोनियम पर एक आलोचनात्मक दृष्टि, तानपुरे से निकलने वाले स्वरों के साथ हमारे आधुनिक स्वर-स्थानों का मिलान. प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक राग-वर्गीकरण, उनका महत्त्व, और उनके विभिन्न प्रकारों को पारस्परिक तुलना, संगीत-कला और शास्त्र का पारस्परिक सम्बन्ध. भरत की श्रुतियाँ सामान थीं अथवा भिन्न थीं-इस पर विभिन्न विद्वानों के विचार और तर्क. सारणा चतुष्टई का अध्ययन, उत्तर भारतीय संगीत को ‘संगीत पारिजात’ की दें, हिन्दुस्तानी और कर्नाटकी संगीत-पद्धतियों की तुलना, उनके स्वर, ताल और रागों का मिलन करते हुए पाश्चात्य स्वरलिपि पद्धति का साधारण ज्ञान, संगीत के घरानों का संक्षिप्त ज्ञान, रत्नाकर के दस विधि राग वर्गीकरण-भाषा, विभाषा इत्यादि
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संगीत की स्वर लिपियाँ:
- भातखंडे और विष्णु दिगंबर स्वर-लिपियों का तुलनात्मक अध्ययन।
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लेखन विषय:
- भावी संगीत के समुचित निर्माण के लिए सुझाव, हिन्दुस्तानी संगीत पद्धति के मुख्या सिद्धांत. प्राचीन और आधुनिक प्रसिद्द संगीतज्ञों का परिचय तथा उनकी शैली. संगीत का मानव जीवन पर प्रभाव, संगीत और चित्त (Mind and Music) स्कूलों द्वारा संगीत शिक्षा की त्रुटियों और उन्नति के सुझाव, संगीत और स्वर साधन।
क्रियात्मक (Practical)
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राग पहचान:
- पूर्व वर्षों के सभी रागों का अभ्यास।
- रागों में अल्पत्व-बहुत्व, तिरोभाव-आविर्भाव का अभ्यास।
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महफ़िल गायकी:
- आलाप और तान में सफाई, महफ़िल में गायकी का अभ्यास।
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ठप्पा, ठुमरी, तिरवट, और चतुरंग:
- इन गीतों का परिचय और अभ्यास।
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रागों का अभ्यास:
- रामकली, मियाँ मल्हार, परज, बसंती, राग श्री, पूरिया धनाश्री, ललित, शुद्ध कल्याण, देशी और मालगुन्जी रागों में एक-एक बड़ा-ख्याल और छोटा ख्याल पूर्ण तैयारी के साथ. किन्हीं दो रागों में एक-एक धमार, एक-एक ध्रुपद और एक-एक तराना जानना आवश्यक है. प्रथम वर्ष से षष्ठम वर्ष एस के रागों में से किसी एक चतुरंग।
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ठुमरी अभ्यास:
- काफी, पीलू, पहाड़ी, झिंझोटी, भैरवी और खमाज इनमे से किन्हीं दो रागों में दो ठुमरी।
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ताल लयकारी:
- लक्ष्मी ताल, ब्रह्म ताल और रूद्र ताल का पूर्ण अभ्यास।
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