संगीत में थाट
थाट शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण आधार है, जो स्वरों के एक निश्चित समूह को इंगित करता है। थाट वह प्रणाली है जिसके अंतर्गत विभिन्न रागों का निर्माण किया जाता है।
थाट की परिभाषा
That Kise Kahte Hai – थाट(Thaat) उन सात मुख्य स्वरों के सामूहिक समूह को कहते हैं, जो क्रमानुसार व्यवस्थित होते हैं और जिनसे रागों की उत्पत्ति होती है। इसे संस्कृत में “मेल” भी कहा जाता है।
संगीत में 12 स्वरों का प्रयोग होता है:
- सात शुद्ध स्वर: सा, रे, ग, म, प, ध, नि
- पांच विकृत स्वर: कोमल रे, कोमल ग, कोमल ध, कोमल नि, और तीव्र म
इन 12 स्वरों में से 7 स्वरों का चयन करके थाट का निर्माण किया जाता है, और ये सात स्वर आरोह में एक विशेष क्रम में होते हैं। थाट की यह प्रणाली ही रागों का मूल आधार होती है।
थाट के प्रकार
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में 72 थाटों का उल्लेख मिलता है, लेकिन वर्तमान में केवल 10 प्रमुख थाट ही प्रचलन में हैं, जिनसे लगभग सभी राग उत्पन्न होते हैं। ये 10 थाट हिंदुस्तानी संगीत के आधार स्तंभ माने जाते हैं।
10 प्रमुख थाटों के नाम और परिचय
बिलावल थाट
- स्वर: सा, रे, ग, म, प, ध, नि (सभी शुद्ध)
- यह थाट सबसे सरल माना जाता है और इसमें सभी शुद्ध स्वर होते हैं।
कल्याण थाट
- स्वर: सा, रे, ग, म(t), प, ध, नि
- इसमें शुद्ध स्वर होते हैं, लेकिन म (मध्यम) तीव्र होता है।
खमाज थाट
- स्वर: सा, रे, ग, म, प, ध, नि(k)
- इसमें कोमल ‘नि’ का प्रयोग होता है।
आसावरी थाट
- स्वर: सा, रे(k), ग(k), म, प, ध(k), नि(k)
- इसमें चार कोमल स्वर होते हैं: रे, ग, ध, और नि।
काफी थाट
- स्वर: सा, रे, ग(k), म, प, ध, नि(k)
- इसमें कोमल ‘ग’ और ‘नि’ का प्रयोग किया जाता है।
भैरवी थाट
- स्वर: सा, रे(k), ग(k), म, प, ध(k), नि(k)
- इसमें चार कोमल स्वर होते हैं: रे, ग, ध, और नि।
भैरव थाट
- स्वर: सा, रे(k), ग, म, प, ध(k), नि
- इसमें कोमल ‘रे’ और कोमल ‘ध’ का प्रयोग होता है।
मारवा थाट
- स्वर: सा, रे(t), ग, म(t), प, ध, नि
- इसमें तीव्र ‘रे’ और तीव्र ‘म’ का प्रयोग होता है।
पूर्वी थाट
- स्वर: सा, रे(k), ग, म(t), प, ध(k), नि
- इसमें कोमल ‘रे’, तीव्र ‘म’, और कोमल ‘ध’ का प्रयोग होता है।
तोड़ी थाट
- स्वर: सा, रे(k), ग(k), म(t), प, ध(k), नि
- इसमें कोमल ‘रे’, कोमल ‘ग’, तीव्र ‘म’, और कोमल ‘ध’ का प्रयोग होता है।
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के 10 थाट के नाम – 10 thaats
- बिलावल थाट
- कल्याण थाट
- खमाज थाट
- आसावरी थाट
- काफी थाट
- भैरवी थाट
- भैरव थाट
- मारवा थाट
- पूर्वी थाट
- तोड़ी थाट
थाट प्रणाली हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की नींव है, और इन 10 प्रमुख थाटों से अनगिनत रागों की उत्पत्ति होती है। हर थाट का एक विशिष्ट स्वरूप और प्रकृति होती है, जो अलग-अलग रागों को जन्म देती है।
How To Read Sargam Notes
कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- कोमल ग: ग(k) या ग
- कोमल रे: रे(k) या रे
- कोमल ध: ध(k) या ध
- कोमल नि: नि(k) या नि
नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।
तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- तीव्र म: म(t) या मे
स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।
तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।
मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।
- उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि
तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।
- उदाहरण: सां = तार सप्तक सा
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