Swar Kise Kahate Hain – स्वर की परिभाषा और स्वरों के प्रकार

स्वरों की परिभाषा और प्रकार : Swar In Music

Swar Kise Kahate Hain
Swar Kise Kahate Hain

संगीत की दुनिया में स्वर की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्वरों के बिना संगीत की कल्पना करना भी असंभव है। आइए, आज हम स्वरों की परिभाषा और उनके प्रकारों पर विस्तार से चर्चा करें और समझें कि स्वर संगीत की संरचना में कितने महत्वपूर्ण हैं।


स्वर की परिभाषा – Swar Ki Paribhasha

मुख्य 12 श्रुतियो को स्वर कहते हैं |

कुछ विद्वानों के अनुसार स्वर की परिभाषा 

स्वर किसे कहते है – वास्तव में स्वर वह संगीतोपयोगी नाद हैं,  जो स्पष्ट एवं सुनने में मधुर हो.  जिसकी आवाज स्थिर गुंजमान हो और जिसे सुनने में प्रसन्नता की प्राप्ति हो.  उसे स्वर कहते हैं |


7 स्वरों के नाम

संगीत में 12 मुख्य श्रुतियों को स्वर कहते हैं। संगीत में स्वर मुख्य स्वर 12 होते हैं, जिसमे 7 शुद्ध स्वर होते है, इन्हें निम्नलिखित नामों से जाना जाता है:

  1. षडज (सा)
  2. ऋषभ (रे)
  3. गंधार (ग)
  4. मध्यम (म)
  5. पंचम (प)
  6. धैवत (ध)
  7. निषाद (नि)

इन स्वरों को सरलता के लिए सा, रे, ग, म, प, ध, और नि के रूप में भी जाना जाता है।


स्वर के प्रकार – Types Of Swar In Music

स्वरों के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं:

  1. शुद्ध स्वर
  2. विकृत स्वर

1. शुद्ध स्वर

शुद्ध स्वर वे स्वर होते हैं जो अपने निश्चित स्थान पर रहते हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत में 12 स्वरों में से मुख्य 7 स्वर शुद्ध स्वर होते हैं। ये स्वरों की स्थिरता और स्पष्टता को दर्शाते हैं।

  • सा (षडज)
  • रे (ऋषभ)
  • ग (गंधार)
  • म (मध्यम)
  • प (पंचम)
  • ध (धैवत)
  • नि (निषाद)

2. विकृत स्वर

विकृत स्वर वे स्वर होते हैं जो अपने निश्चित स्थान से थोड़े ऊपर या नीचे होते हैं। ये स्वर शुद्ध स्वर के साथ विकृत (कोमल या तीव्र) होते हैं और संगीत में विभिन्न भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करते हैं।

  • कोमल स्वर: जब किसी स्वर को उसकी निश्चित स्थान से नीचे गाया जाता है, तो उसे कोमल स्वर कहते हैं। उदाहरण के लिए, कोमल रे और कोमल ध।
  • तीव्र स्वर: जब किसी स्वर को उसकी निश्चित स्थान से ऊपर गाया जाता है, तो वह तीव्र स्वर कहलाता है। उदाहरण के लिए, तीव्र म।

चल स्वर और अचल स्वर

संगीतकारों के अनुसार, स्वरों को एक अन्य दृष्टिकोण से भी विभाजित किया जा सकता है:

  1. चल स्वर: ये स्वर शुद्ध के साथ-साथ विकृत (कोमल या तीव्र) भी होते हैं। उदाहरण के लिए, रे, ग, म, ध, और नि
  2. अचल स्वर: ये वे स्वर होते हैं जो हमेशा शुद्ध होते हैं और अपने स्थान पर अडिग रहते हैं। उदाहरण के लिए, सा और
चल स्वर और अचल स्वर
चल स्वर और अचल स्वर

संगीत से सम्बंधित अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हैं तो कृपया comment box में बताये

Thank you for reading “स्वर की परिभाषा (Swar Ki Paribhasha).” We hope you found the insights into “Swar in Music” and “स्वर किसे कहते हैं (Swar Kise Kahate Hain)” valuable! Understanding “स्वर (Swar)” is crucial for appreciating its role in music and its diverse types.

If you found the explanation of “स्वर की परिभाषा (Swar Ki Paribhasha),” “Types Of Swar In Music”, “चल स्वर और अचल स्वर” And “शुद्ध स्वर और विकृत स्वर helpful, please consider sharing this post with your friends and fellow enthusiasts. Your feedback and sharing help us continue providing valuable resources on the essence of स्वरों के नाम.

We’d love to hear about your experience and any suggestions you might have. Thank you once again for your support!

नमस्कारम् 🙏

For more Piano Notes, Harmonium Notes, Classical Raga & Guitar Chords, please visit again. And always type
For Piano/Harmonium Notes – Click
For classical Raga & Theory – Indianraag.com
For Guitar Chords – Guitar.indianraag.com

1 thought on “Swar Kise Kahate Hain – स्वर की परिभाषा और स्वरों के प्रकार”

  1. Pingback: Vida Karo Guitar Chords With Strumming- Arijit Singh - Guitar Chords

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

error: Content is protected !!
Scroll to Top