संगीत क्या है – Sangeet Ki Paribhasha

संगीत की परिभाषा और उत्पत्ति पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करें। जानिए पंडित सारंगदेव जी के अनुसार संगीत क्या है, और विभिन्न भाषाओं में संगीत के लिए प्रयुक्त शब्दों का इतिहास। संगीत के गायन, वादन, और नृत्य के महत्व को समझें और इसके प्राचीनकाल से वर्तमान तक के विकास की जानकारी पाएं।

संगीत क्या है - Sangeet Kya Hai

sangeet ki paribhasha

Sangeet Ki Paribhasha

संगीत की परिभाषा को समझने के लिए हमें महान पंडित और शास्त्रकार सारंगदेव जी के प्रसिद्ध ग्रंथ “संगीत रत्नाकर” का अध्ययन करना चाहिए। उन्होंने संगीत की परिभाषा इस प्रकार दी है:

“गीतं वाद्यं तथा नृत्यं त्रयं संगीत मुच्यते”

इसका अर्थ है कि गीत, वाद्य और नृत्य इन तीनो के समावेश को संगीत कहते है |

सारंगदेव जी के अनुसार, संगीत एक ऐसा कला रूप है जिसमें गायन (संगीत), वादन (वाद्य यंत्र बजाना), और नृत्य (डांस) तीनों का समावेश होता है। ये तीनों मिलकर एक सम्पूर्ण संगीत का स्वरूप तैयार करते हैं।

  • गायन (Singing): आवाज़ के माध्यम से भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने की कला है।
  • वादन (Playing Instruments): वाद्य यंत्रों के माध्यम से ध्वनि उत्पन्न करना, जो संगीत को एक नया आयाम प्रदान करता है।
  • नृत्य (Dance): शारीरिक आंदोलनों के माध्यम से संगीत की अभिव्यक्ति करना, जो संगीत की भावनाओं को और भी जीवंत बना देता है।

हम कह सकते है कि – गायन,  वादन, और नृत्य (dance) के मिले स्वरुप को संगीत कहते हैं, 

संगीत की परिभाषा और उसके विभिन्न रूप

  1. स्वर और लय: स्वर और लय की कला को संगीत कहते हैं।
  2. ललित कला: संगीत वह ललित कला है जिसमें स्वर और लय के माध्यम से भावनाओं की अभिव्यक्ति की जाती है।
  3. सुव्यवस्थित ध्वनि: संगीत कि वह सुव्यवस्थित ध्वनि जो रस की सृष्टि करे संगीत कहलाती है। यह गायन, वादन, और नृत्य के संयोजन से उत्पन्न होता है।

 

संगीत की उत्पत्ति और विकास

संगीत की उत्पत्ति मानवता के साथ प्रारंभिक काल से जुड़ी हुई है। उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में भारतेन्दु हरिश्चंद्र ने कहा था कि “संगीत की उत्पत्ति मानवीय संवेदना के साथ हुई है।”

संगीत का इतिहास दर्शाता है कि सबसे पुरानी सभ्यताओं में भी संगीत का प्रयोग किया जाता था, जो मूर्तियों, मुद्राओं और भित्तिचित्रों के अवशेषों से स्पष्ट होता है।

संगीत शब्द की उत्पत्ति 

संगीत शब्द ‘सम्+ग्र’ धातु से बना है। विभिन्न भाषाओं में ‘सं’ का रूप बदलकर ‘सिं’ हो गया है, और ‘गै’ या ‘गा’ धातु का उपयोग गाने के अर्थ में किया जाता है। ऐंग्लोसैक्सन में इसका रूपान्तर ‘सिंगन’ (singan) हुआ, जो आधुनिक अंग्रेजी में ‘सिंग’ (sing) बन गया।

अन्य भाषाओं में भी संगीत के लिए समान शब्द पाए जाते हैं:

  • यूनानी में: ‘मौसिकी’ (musique)
  • लैटिन में: ‘मुसिका’ (musica)
  • फ्रांसीसी में: ‘मुसीक’ (musique)
  • पोर्तुगी में: ‘मुसिका’ (musica)
  • जर्मन में: ‘मूसिक’ (musik)
  • अंग्रेजी में: ‘म्यूजिक’ (music)
  • इब्रानी, अरबी, और फारसी में: ‘मोसीकी’

ये सभी शब्द यूनानी भाषा के ‘म्यूज’ (muse) शब्द से बने हैं। ‘म्यूज’ यूनानी परंपरा में काव्य और संगीत की देवी मानी जाती हैं। कोश में ‘म्यूज’ (muse) शब्द का अर्थ है ‘गान की प्रेरिका देवी’। यूनान की परंपरा में ‘म्यूज’ ‘ज्यौस’ (zeus) की कन्या मानी जाती हैं। ‘ज्यौस’ शब्द संस्कृत के ‘द्यौस्’ का रूपांतर है, जिसका अर्थ है ‘स्वर्ग’। ‘ज्यौस’ और ‘म्यूज’ की धारणा ब्रह्मा और सरस्वती से मिलती-जुलती है।

संगीत का आधुनिक संदर्भ

आज के समय में संगीत की विविध शैलियाँ और विधाएँ हैं जो विभिन्न संस्कृतियों और समाजों में लोकप्रिय हैं। संगीत ने न केवल सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया है बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक और मनोरंजन तत्व भी है। इसके अलावा, संगीत चिकित्सा, शिक्षा और मनोविज्ञान में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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