इस पोस्ट में, हम राग मियां मल्हार का परिचय (Raag Miya Malhar Parichay) प्रस्तुत करते हैं, जिसमें Miya Malhar Raag Notes, Raag Miya Malhar Taan, और एक आकर्षक राग मियां मल्हार बंदिश (Raag Miya Malhar Bandish) “बोले रे पपिहरा” के बारे में भी जानकारी मिलेगी, जो नोटेशन के साथ पूरी होगी।
Miyan Ki Malhar – राग मियाँ मल्हार भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण राग है, जिसे विशेष रूप से वर्षा ऋतु और मध्य रात्रि में गाया-बजाया जाता है। इस राग की उत्पत्ति काफी थाट से मानी गई है। राग मियाँ मल्हार का संगीत प्रेमियों के बीच एक विशिष्ट स्थान है, और यह तानसेन द्वारा रचित “मल्हार” से उत्पन्न हुआ माना जाता है।
राग मियाँ मल्हार
Raag Miya Malhar Parichay – राग मियाँ मल्हार की उत्पत्ति काफी थाट से मानी गई है। इसके आरोह में सातों स्वर प्रयोग किये जाते हैं तथा अवरोह में धैवत वर्ज्य है। इसलिये इसकी जाति सम्पूर्ण – षाडव है। इसमें गंधार कोमल तथा दोनों निषाद प्रयुक्त होते हैं। गायन-समय मध्य रात्रि है। वादी सा और सम्वादी प है। कुछ गुणीजन वादी म और सम्वादी सा मानते हैं।
राग मियाँ मल्हार परिचय
- थाट: काफी
- वादी स्वर: सा
- संवादी स्वर: पंचम (प)
- स्वर: आरोह में सभी स्वर प्रयोग होते हैं, जबकि अवरोह में धैवत वर्ज्य है। गंधार कोमल होता है, और दोनों निषाद प्रयोग होते हैं।
- जाति: सम्पूर्ण-षाडव
- गायन समय: मध्य रात्रि
राग मियाँ मल्हार आरोह और अवरोह
आरोह – सा मरे ऽ प मग ऽ ग म रे सा , म रे प , नि ऽ ध नि ऽ सां ।
अवरोह – सां नि प म प , ग म रे सा ।
पकड़ – म रे प , म ग ऽ ग म रे सा , नि नि ऽ ध नि ऽ सा ।
राग मियाँ मल्हार की विशेषताएँ
मल्हार की उत्पत्ति और विकास: कहा जाता है कि तानसेन ने एक नया राग “मल्हार” की रचना की थी, जो बाद में मियाँ मल्हार के नाम से प्रसिद्ध हुआ। प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन बोलचाल में “मल्हार” से अक्सर मियाँ मल्हार का ही बोध होता है। हालांकि, मल्हार के कई प्रकार हैं जैसे सूर मल्हार, गौड़ मल्हार, नट मल्हार, रामदासी मल्हार आदि।
स्वर प्रयोग और वक्रता: मियाँ मल्हार में गंधार कोमल होता है, जो दरबारी काहड़ा के गंधार से भिन्न है। मियाँ मल्हार का गंधार मध्यम को स्पर्श करते हुए आंदोलित होता है, जबकि दरबारी का गंधार ऋषभ को स्पर्श करता है। इस राग की एक और विशेषता है दोनों निषादों का पास-पास प्रयोग, जो इसे अन्य रागों से अलग बनाता है।
मौसमी राग: वर्षाकाल में इसे किसी भी समय गाया-बजाया जा सकता है, इसलिए इसे मौसमी राग भी कहा जाता है। मियाँ मल्हार के गीतों में पावस ऋतु का वर्णन अधिकतर मिलता है।
गंधार का वक्र प्रयोग: आरोह में गंधार वक्र रूप में प्रयोग किया जाता है, यानी आरोह में कभी भी सा रे ग म प का प्रयोग नहीं होता। इसी प्रकार, अवरोह में भी धैवत वक्र रूप में प्रयोग हो सकता है, जैसे – सा, ध नि म प।
Raag Miya Malhar मतभेद
राग मियाँ मल्हार के वादी और संवादी स्वर को लेकर विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ विद्वान म को वादी और सा को संवादी मानते हैं, लेकिन अधिकांशतः सा को वादी और पंचम (प) को संवादी माना जाता है। इसके पीछे तर्क यह है कि इस राग में म पर न्यास नहीं होता, जबकि वादी स्वर पर न्यास आवश्यक है। चूंकि यह राग पूर्वांग प्रधान है, वादी स्वर सप्तक के पूर्वांग (सा, रे, ग, म, प) से ही होना चाहिए।
न्यास के स्वर
मियाँ मल्हार में न्यास के प्रमुख स्वर सा, रे, प और नि हैं।
निकटस्थ राग
राग मियाँ मल्हार का निकटस्थ राग बहार है। दोनों रागों में स्वर संगतियों की समानता है, लेकिन उनका भाव और प्रयोग भिन्न है।
Raag Miya Malhar Bandish
राग मियाँ मल्हार बंदिश
स्थायी
| नि
| बो
3 | X | 2 | 0
प नि म प | सां – – –| सां – – धप | ग – – म
ले रे – प | पि – – – | – – – ह– | रा – – अ
3 | X | 2 | 0
प ग ग म | रे – रे – | सा – – – | नि सा – सा
ब ध – न | ग – र – | जे – – – | – – – आ
3 | X | 2 | 0
ध ध ध ध | नि – प – | मप धनि सांरें सांनि | सां नि सां नि
ब ध – न | ग – र – | जे– –– –– –– | – – – बो
3 | X | 2 | 0
अंतरा
म – रे प | – प नि ध | नि सां – नि | सां सां सां सां
ऊ – न ऊ | – न क र | आ ई – ब | द रि या –
0 | 3 | x | 2
ध ध ध ध | नि सां सां – | रें नि सां सां | नि नि प –
ब र स न | ला – गी – | स दा – र | गी – ले –
0 | 3 | x | 2
प प म प | नि ध नि ध | म रे प प | नि ध नि सां
– मो म द | सा – – – | दा – मि नि | – सी को –
0 | 3 | x | 2
नि सां – सां | गं गंमं रें सा | नि सा नि प | मप धनि सारें सांनि
द चो – द | मो रा– जी या | रा – ल र | जै– –– –– ––
0 | 3 | x | 2
सां नु सां नि
– – – बो
How To Read Sargam Notes
कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- कोमल ग: ग(k) या ग
- कोमल रे: रे(k) या रे
- कोमल ध: ध(k) या ध
- कोमल नि: नि(k) या नि
नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।
तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- तीव्र म: म(t) या मे
स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।
तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।
मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।
- उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि
तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।
- उदाहरण: सां = तार सप्तक सा
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