राग केदार परिचय
इस पोस्ट में Raag Kedar का विस्तृत परिचय दिया गया है, जिसमें Raag Kedar Parichay के साथ Raag Kedar bandish, राग केदार तान, आलाप और राग केदार की विशेषताएँ शामिल हैं। indian classical ragas के इस अद्वितीय राग के स्वरूप और उसकी सुंदरता को समझने के लिए यह एक संपूर्ण मार्गदर्शिका है। राग केदार के वादी और संवादी स्वर, इसका गाने-बजाने का समय, और इसके प्रयोग में आने वाले विशेष स्वर संगतियों की जानकारी भी यहाँ दी गई है। संगीत के शौकीनों के लिए यह राग केदार पर एक महत्वपूर्ण संसाधन है।
Raag Kedar Parichay
राग केदार भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण राग है, जिसे कल्याण थाट जन्य माना जाता है। राग केदार में दो मध्यम और अन्य स्वर शुद्ध होते हैं। इसमें वादी स्वर मध्यम (म) और संवादी स्वर साधार (सा) होता है। आरोह में रे और ग स्वर वर्जित हैं, जबकि अवरोह में केवल ग स्वर वर्जित है। इसलिए इसकी जाति औडव-षाडव है। इसे रात्रि के प्रथम प्रहर में गाने और बजाने की सलाह दी जाती है।
Raag kedar aaroh avroh
- आरोह: सा म, म प, ध प, नि ध सां।
- अवरोह: सां नि ध प, मे प ध प म, रे सा।
- पकड़: साम, म प, मे प ध प म, रे सा।
Kedar Raga Parichay
- थाट – कल्याण थाट
- समय – रात्रि के प्रथम प्रहर
- वादी – म
- संवादी – स
- जाति – औडव-षाडव
राग केदार में मतभेद और अपवाद
कुछ गायक इसे बिलावल थाट का राग मानते हैं, जबकि अधिकांश वर्तमान गायक इसे कल्याण थाट का राग मानते हैं। राग के वादी और संवादी स्वर म और सा होने के कारण इसे उत्तरांग प्रधान माना जाता है, लेकिन इसका प्रचार रात्रि के प्रथम प्रहर से विपरीत है।
राग केदार कि विशेषता
- तीव्र और शुद्ध मध्यम: आरोह में तीव्र म पंचम के साथ और शुद्ध म दोनों का प्रयोग किया जाता है। कभी-कभी अवरोह में ध से म को मींड के साथ प्रयोग किया जाता है।
- गन्धार स्वर का वर्जन: राग में गन्धार स्वर वर्जित है, लेकिन अवरोह में मध्यम पर ग का अनुलगन कण लगाया जाता है।
- कोमल नि का प्रयोग: कभी-कभी अवरोह में कोमल नि का प्रयोग भी किया जाता है।
- वक्रता: इसकी चलन वक्र है, लेकिन तानों में वक्रता का नियम शिथिल हो जाता है।
Raag Kedar Bandish - तीनताल (मध्यलय)
राग केदार बंदिश – कान्हा रे नन्द नंदन
स्थायी
- प मे प | ध – – – | प – प प | पमे धप म म
- का ऽ न्हा | रे ऽ ऽ ऽ | ऽ ऽ न न्द | नऽ ऽऽ द न
- | ३ | X | २ | ०
- म म रे सा | रे – सा सा | ध नि सां रें | सां नि ध प
- प र म नि | रं ऽ ज न | हे ऽ दुः ख | भं ऽ ज न
- | ३ | X | २ | ०
अन्तर
- प – सां सां | सां – सां सां | ध नि सां रें | सां नि ध प
- कं ऽ ठ बं | धी ऽ मो ति | य न की ऽ | मा ऽ ला ऽ
- | ३ | X | २ | ०
- गं गं गं मं | रें रें सां सां | ध नि सां रें | सां नि ध प
- प हि र त | मु दि त भ | यि ऽ बृ ज | बा ऽ ला ऽ
- | ३ | X | २ | ०
Kedar Raag Taan – तीनताल तान
- सारे सासा मम रेसा। पप मेप मम रेसा
- सासा मम पप मेप। धप मेप मम रेसा
- मम पप धध पप | मेप धप मम रेसा
- मेप धनि सांनि धप। मेप धप मम रेसा
- मम रेसा पप मेप । धप मेप मम रेसा
How To Read Sargam Notes
कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- कोमल ग: ग(k) या ग
- कोमल रे: रे(k) या रे
- कोमल ध: ध(k) या ध
- कोमल नि: नि(k) या नि
नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।
तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- तीव्र म: म(t) या मे
स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।
तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।
मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।
- उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि
तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।
- उदाहरण: सां = तार सप्तक सा
केदार राग प्रश्न उत्तर
1. केदार राग के आरोह अवरोह पकड़ क्या हैं?
- आरोह: सा म, म प, ध प, नि ध सां।
- अवरोह: सां नि ध प, मे प ध प म, रे सा।
- पकड़: साम, म प, मे प ध प म, रे सा।
2. केदार राग की जाति क्या है?
- जाति: औडव-षाडव (5,6)
3. केदार राग का गायन समय क्या है?
- गायन समय: रात्रि का प्रथम प्रहर
4. केदार राग में कौन से स्वर लगते हैं?
- स्वर: आरोह में सा, म, म प, ध प, निध सां। अवरोह में सां निध प, म प ध प म, रे सा।
5. केदार राग का थाट क्या है?
- थाट: कल्याण थाट
6. केदार राग के वादी संवादी स्वर कौन से हैं?
- वादी संवादी स्वर: म और सा
7. केदार राग का परिचय क्या है?
- परिचय: केदार राग को कल्याण थाट जन्य माना गया है। इसमें वादी स्वर म और संवादी स्वर सा है। आरोह में रे और ग स्वर वर्जित हैं, और इसकी जाति औडव-षाडव है। इसके गाने-बजाने का समय रात्रि का प्रथम प्रहर है।
8. केदार राग के वर्जित स्वर कौन से हैं?
- वर्जित स्वर: रे और ग