Prayag Sangeet Samiti 1st Year Syllabus 2024
Prabhakar 1st Year Syllabus – प्रयाग संगीत समिति के प्रभाकर प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम में स्वर, लय, राग, और तालों का ज्ञान शामिल है। यह पाठ्यक्रम शास्त्रीय संगीत की थ्योरी और प्रैक्टिकल के साथ छात्रों को संगीत में मजबूत नींव प्रदान करता है।
क्रियात्मक परीक्षा: 100 अंकों की होगी। शास्त्र का एक प्रश्न-पत्र 50 अंकों का।
Prayag Sangeet Samiti Vocal Syllabus
क्रियात्मक (Theory)
स्वर-ज्ञान:
- 7 शुद्ध और 5 विकृत-स्वरों को गाने और पहचानने का ज्ञान।
- दो-दो स्वरों के सरल समूहों को गाने और पहचानने का अभ्यास।
- शुद्ध-स्वरों का विशेष ज्ञान।
लय-ज्ञान:
- प्रत्येक मात्रा पर ताली देकर लय की स्थिरता की जाँच।
- विलम्बित, मध्य, और द्रुत-लयों का साधारण परिचय।
- विभिन्न सरल मात्रा विभागों की शिक्षा:
- एक मात्रा में आधी-आधी मात्रा के दो अंक (एक, दो) या दो स्वर (सा, रे) बोलते हुए ताली देना।
- एक मात्रा में चौथाई-चौथाई मात्रा के चार अंक (एक, दो, तीन, चार) या चार स्वर (सा, रे, ग, म) बोलना।
अलंकार:
- दस सरल अलंकारों का समुचित अभ्यास सरगम और आकार दोनों में एवं विलम्बित तथा मध्य-लयों में।
राग:
- अल्हैया बिलावल, यमन, खमाज, काफी, बिहाग, भैरव, और भूपाली रागों में एक-एक छोटा ख्याल कुछ सरल तानों सहित।
- इन रागों में साधारण आलाप करने की क्षमता।
- गीत गाते समय हाथ से ताल देने का अभ्यास तथा तबले के साथ गाने का अभ्यास।
ताल:
- तीन-ताल, चार-ताल, दादरा, और कहरवा तालों के ठेकों को ताली देते हुए ठाह तथा दुगुन लयों में बोलना।
मुख्य राग:
- दर्शक आलापों द्वारा राग पहचान।
शास्त्र (Practical)
संगीत के विषय:
- भारत की दो संगीत-पद्धतियाँ, ध्वनि, ध्वनि की उत्पत्ति, नाद, नाद-स्थान, श्रुति, स्वर, प्राकृत स्वर, अचल और चल स्वर, शुद्ध और विकृत-स्वर (कोमल व तीव्र), सप्तक (मंद्र, मध्य, तार), थाट, राग, वर्ण (स्थायी, आरोही-अवरोही, संचारी), अलंकार (पलटा), राग जाति (औडव, षाडव, सम्पूर्ण), वादी, संवादी, अनुवादी, वर्जित स्वर, पकड़, आलाप, तान, ख्याल, सरगम, स्थाई, अंतरा, लय (विलम्बित, मध्य, द्रुत), मात्रा, ताल विभाग, सम ताली, खाली ठेका, आवर्तन, ठाह तथा दुगुन।
रागों का परिचय:
- इस वर्ष के रागों का परिचय उनके थाट, स्वर, आरोह, अवरोह, जाति, पकड़, वादी, संवादी, वर्ज्य-स्वर, समय तथा कुछ सरल आलापों सहित लिखना।
तालों के ठेके:
- इस वर्ष के तालों के ठेकों (बोल) उनकी मात्रा, विभाग, सम, ताली, खाली सहित ताल लिपि में लिखना। उनका दुगुना लिखने का भी अभ्यास।
स्वर-लिपि का ज्ञान:
- विष्णु-दिगंबर अथवा भारत-खण्डे स्वर-लिपि में से किसी एक पद्धति का प्रारंभिक ज्ञान।
राग पहचान:
- लिखित सरल स्वर-समूहों द्वारा राग पहचान।
संगीतकारों का परिचय:
- विष्णु दिगंबर तथा भातखण्डे की संक्षिप्त जीवितियाँ तथा उनके संगीत कार्यों का संक्षिप्त परिचय।
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