Alankar In Music – संगीत अभ्यास के लिए अलंकार

alankar in music
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अलंकार

Alankar In Music – नियमानुसार स्वरों की चलन को अलंकार कहते हैं। अलंकार में कई कड़ियाँ होती है जो आपस में एक दूसरे से जुड़ी होती हैं। प्रत्येक अलंकार में मध्य सा से तार सा तक आरोही वर्ण और तार सा से मध्य सा तक अवरोही वर्ण हुआ करता है। ‘संगीत दर्पण’ में अलंकार की परिभाषा इस प्रकार दी गई है-

विशिष्ट-वर्ण-सन्दर्भमलंकार प्रचक्षते अर्थात् नियमित वर्ण-समूह को अलंकार कहते हैं। अलंकार का अवरोह, आरोह का ठीक उलटा होता है। नीचे कुछ उदाहरण देखिये-

(१) आरोह सारेग, रेगम, गमप, मपध, पधनी और धनिसां। अवरोह – सांनिध, निधप, धपम, पमग, मगरे और गरेसा।

(२) आरोह सारेगरे, रेगमग, गमपम, मपधप, पधनिध, धनिसांनि । अवरोह – सांनिधनि, निधपध, धपमप, पमगम, मगरेग, गरेसारे।

(३) आरोह – सागरेसा, रेमगरे, गपमग, मधपम, पनिधप, धसांनिध। अवरोह – सांधनिसां, निपधनि, धमपध, पगमप, मरेगम, गसारेग, रॅनिसारे।

इस प्रकार अनेक अलंकारों की रचना हो सकती है। अलंकार को पलटा भी कहते हैं। वाद्य के विद्यार्थियों को नित्य प्रति अलंकार का अभ्यास करना चाहिये। इससे विद्यार्थियों की रचनात्मक प्रवृत्ति को प्रोत्साहन मिलता है और अंगुलियाँ अपने वाद्य पर विभिन्न प्रकार से घूमने योग्य हो जाती हैं। गायन में भी इसका कुछ कम महत्व नहीं है। कुछ मुसलमान गायकों का विचार है कि प्रारम्भिक विद्यार्थियों को अलंकार का अभ्यास खूब करना चाहिये, किन्तु कुछ गायक इसका विरोध करते हैं। उनका कहना है कि अलंकार का बहुत अधिक अभ्यास कराने से गुण के साथ-साथ कंठ में ऐसे दोष भी आ जाते हैं, जो जीवन भर बने रहते हैं और लाख हटाने पर भी नहीं हटते।

पकड़-वह छोटा से छोटा स्वर समुदाय जिससे किसी एक राग का बोध हो राग की पकड़ कहलाता है, जैसे परे गरे, निरे सा. से कल्याण राग का बोध होता है, अतः इसे कल्याण राग की पकड़ कहते हैं। प्रत्येक राग की पकड़ अलग-अलग होती है। गाते-बजाते समय राग की पकड बार-बार प्रयोग की

 

20 Alankar In Music

 
Alankar Harmonium

आरोह – सा रे ग म प ध नि सां । 
अवरोह – सां नि ध प म ग रे सा। 

आरोह – सासा रेरे गग मम पप धध निनि सांसां।
अवरोह – सांसां निनि धध पप मम गग रेरे सासा। 

आरोह – सासासा रेरेरे गगग ममम पपप धधध निनिनि सांसांसां।  
अवरोह – सांसांसां निनिनि धधध पपप ममम गगग रेरेरे सासासा। 

आरोह – सासासासा रेरेरेरे गगगग मममम पपपप धधधध निनिनिनि सांसांसांसां।
अवरोह – सांसांसांसां निनिनिनि धधधध पपपप मममम गगगग रेरेरेरे सासासासा। 

आरोह – सारेग रेगम गंमप मपध पधनि धनिसां।
अवरोह – सांनिध निधप धपम पमग मगरे गरेसा।  

आरोह – सारेगम रेगमप गमपध मपधनि पधनिसां।
अवरोह – सांनिधप निधपम धपमग पमगरे मगरेसा। 

आरोह – साग रेम गप मध पनि धसां।
अवरोह – सांध निप धम पग मरे गसा। 

आरोह – रेसा  गरे मग पम धप निध सांनि रेंसां।
अवरोह – निसां धनि पध मप गम रेग सारे निसा। 

आरोह – रेरेसासा  गगरेरे  ममगग  पपमम धधपप निनिधध  सांसांनिनि  रेंरेंसांसां।
अवरोह – निनिसांसां  धधनिनि  पपधध  ममपप गगमम रेरेगग सासारेरे निनिसासा।   

आरोह – सारेसा गगग, रेगरे ममम, गमग पपप, मपमहाधध पधपनिनिनि धनिधसांसांसां
अवरोह – सांनिसां धधध, निधनिपपप, धपध ममम पमप गगग, मगमरेरेरे, गरेग सांसांसां

आरोह – साग सारेग, रेम रेगम,गप गमप, मध मपध, पनिपधनि धसांधनिसां।
अवरोह – सांध सांनिध, निप निधप, धम धपम, पग पमग, मरे मगरे, गसा गरेसा।

आरोह – सागरेसा, रेमगरे, गपमग, मधपम, पनिधप, धसांनिध, निरेंसांनि, सांगरेसां।
अवरोह – सांधनिसां, निपधनि, धमपध, पगमप, मरेगम, गसारेसा, रे.निसारे, सा.ध.निसा।

आरोह – सारेसारे ग, रेग रेग म, गमगम प, मपमप ध, पधपध नि, धनिधनि सां।
अवरोह – सांनिसांनि ध, निधनिध प, धपधप म, पमपम ग, मगमग रे, गरेगरे सा।

आरोह –

सा
सा रे सा
सा रे ग रे सा
सा रे ग म ग रे सा
सा रे ग म प म ग रे सा
सा रे ग म प ध प म ग रे सा
सा रे ग म प ध नि ध प म ग रे सा
सा रे ग म प ध नि सां नि ध प म ग रे सा

अवरोह 

सां
सां नि सां
सां नि ध नि सां
सा नि ध प ध नि सां
सां नि ध प म प ध नि सां
सां नि ध प म ग म प ध नि सां
सांनि ध प म ग रे ग प ध नि सां
सां नि ध प म ग रे सा रे ग म प ध नि सां

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