संगीत थाट की सम्पूर्ण जानकारी: भारतीय सप्तक से 32 थाटों की रचना


सप्तक से 32 थाटों की रचना

परिचय: दक्षिण भारत के पं० व्यंकटमखी ने गणितीय सिद्धांतों के माध्यम से यह बताया कि उनके सप्तक से 72 थाटों की रचना हो सकती है। वहीं, आधुनिक हिन्दुस्तानी सप्तक के गणितीय सिद्धांतों के आधार पर अधिकतम 32 थाटों की रचना संभव है। यहां हम इस थाट-रचना की प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

हिंदुस्तानी संगीत में कितने थाट होते हैं – पं० व्यंकटमखी ने गणितीय सिद्धांतों के माध्यम से यह बताया कि उनके सप्तक से 72 थाटों की रचना हो सकती है।

सप्तक से 32 थाटों की रचना
सप्तक से 32 थाटों की रचना

थाट-रचना की प्रक्रिया:

  1. सप्तक के स्वरों का विभाजन: सबसे पहले, सप्तक के 12 स्वरों से तीव्र ‘म’ स्वर को हटाकर तार ‘सा’ जोड़ा गया। इसके परिणामस्वरूप स्वर इस प्रकार हुए:
    सा, रे(k), रे, ग(k), ग, म, प, ध(k), ध, नि(k), नि, सां
    इसके बाद इन स्वरों को दो बराबर भागों में विभाजित किया गया, जिसमें प्रत्येक खंड में 6-6 स्वर आए।
    • पहला खंड (पूर्व मेलार्ध): सा, रे(k), रे, ग(k), ग, म
    • दूसरा खंड (उत्तर मेलार्ध): प, ध(k), ध, नि(k), नि, सां
  2. स्वर-समूहों की रचना: हर मेलार्ध (खंड) से 4-4 स्वर-समूह बनाए जाते हैं। थाट का मुख्य नियम यह है कि उसके सभी सात स्वर क्रम से होने चाहिए।
    • पूर्व मेलार्ध के समूह में ‘सा’ और ‘म’ स्वर अनिवार्य रूप से रहते हैं।
    • उत्तर मेलार्ध के समूह में ‘प’ और ‘सां’ स्वर अनिवार्य होते हैं।
    इन स्वरों के साथ अन्य स्वर जोड़कर कुल 4 समूह बनाए जाते हैं:पूर्व मेलार्ध:
    1. सारेगम
    2. स रे(k) गम
    3. स रे ग(k) म
    4. स रे(k) ग(k) म
    उत्तर मेलार्ध:
    1. प ध नि सां
    2. प ध(k) नि सां
    3. प ध(k) नि(k) सां
    4. प ध नि(k) सां
  3. मेलार्धों के मिश्रण से थाटों की रचना: प्रत्येक मेलार्ध के स्वर-समूहों को आपस में जोड़कर थाटों का निर्माण किया जाता है। उदाहरण के लिए:
    • पहला मिश्रण: सारेगम + पधनिसां
    • दूसरा मिश्रण: स रे(k) गम + प ध(k) नि सां
    • तीसरा मिश्रण: स रे ग(k) म + प ध(k) नि(k) सां
    • चौथा मिश्रण: स रे(k) ग(k) म + प ध(k) नि(k) सां
  4. अन्य थाटों की रचना:
    • इसी प्रक्रिया से पूर्व मेलार्ध के दूसरे, तीसरे और चौथे स्वर-समूहों को उत्तर मेलार्ध के समूहों से जोड़कर कुल 16 थाट बनाए जाते हैं।
    • प्रत्येक थाट में शुद्ध ‘म’ प्रयोग किया गया है। यदि ‘म’ को तीव्र कर दिया जाए, तो 16 अन्य थाटों की रचना हो जाएगी।
    • इस प्रकार कुल मिलाकर 32 थाटों की रचना होती है।

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How To Read Sargam Notes

कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • कोमल ग: ग(k) या ग
  • कोमल रे: रे(k) या रे
  • कोमल ध: ध(k) या ध
  • कोमल नि: नि(k) या नि

नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।

तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • तीव्र म: म(t) या मे

स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।

तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।

मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।

  • उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि

तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है

    • उदाहरण: सां = तार सप्तक सा

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