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राग तोड़ी: Raag Todi Parichay – Bandish – Taan Aur Alaap

Raag Todiराग तोड़ी का परिचय, जिसमें इसकी उत्पत्ति, थाट, स्वरों की विशेषता, और गायन समय की जानकारी दी गई है। जानें राग तोड़ी के वादी, संवादी स्वर और इसकी खासियतें, जो इसे शास्त्रीय संगीत में अद्वितीय बनाती हैं।

राग तोड़ी

Raag Todi Parichay – राग तोड़ी की उत्पत्ति तोड़ी थाट से मानी जाती है। यह राग अपने अनूठे और भावपूर्ण स्वरूप के लिए प्रसिद्ध है। राग तोड़ी में कोमल रे, ग, ध और तीव्र म का प्रयोग होता है। इस राग का गायन समय दिन का दूसरा प्रहर होता है। राग तोड़ी की जाति संपूर्ण-संपूर्ण है, जिसमें आरोह और अवरोह दोनों में सभी सात स्वरों का प्रयोग किया जाता है। इसमें वादी स्वर धैवत(ध) और संवादी स्वर गंधार(ग) है, जो इसे विशेष रूप से प्रभावी बनाते हैं।

राग तोड़ी आरोह अवरोह 

Raag Todi Parichay

राग तोड़ी की विशेषताएँ

राग तोड़ी की सबसे बड़ी विशेषता इसका मध्यम स्वर है, जो इसे अन्य रागों से अलग पहचान दिलाता है। इस राग में गंधार और धैवत के कोमल स्वरों का विशेष महत्व है, जो इसे अद्वितीय और प्रभावशाली बनाते हैं। इसका भाव गंभीर और गहन होता है, जो शांति और स्थिरता का प्रतीक है। गायक या वादक इस राग की प्रस्तुति में गंभीरता और स्थिरता का विशेष ध्यान रखते हैं।


Raag Todi Bandish – Teen-Taal

राग तोड़ी बंदिश –  स्थायी 

 ─ रे सा सा |  प  ─  प  प | मे  ─ प  ध | मे  ग ─ रे 
ऽ  लं  ग  र  | कां  ऽ क रि | या ऽ जी न | मा ऽ ऽ रो 
3               | x                | 2              | 0

ग रे सा सा |  ध  ─ प  प | मेप ध  ध  नि | मे  ग ─ रे 
ऽ लं ग   र  | कां ऽ क रि | या- ऽ जी  न | मा ऽ ऽ रो 
3              | x               | 2                 | 0

ग  रे ─ सा | नि रे  ग ─  | मे ─  प  ध |  मे  ─  ग  रे 
ऽ मो ऽ  रे |  अं ग वा ऽ  | ऽ  ऽ  ल  ग | जा ऽ  ऽ   ऽ
3             | x               | 2              | 0

ग रे सा सा |
ये लं  ग  र |
3            | 

राग तोड़ी बंदिश – अंतरा 

प प  ग ─ | म  ─ ध  ध | नि ─ सां नि | सां सां सां ─
सु न पा ऽ | वे   ऽ मो री| सा ऽ  स  न |  न  दि या  ऽ
 x           | 2              | 0               | 3

सांरें गं  रें  नि | ─ नि सां रें |  नि ध नि ध  |  ─ प ग म 
दौ-  ऽ रि दौ |  ऽ रि  घ  र | आ ऽ  ऽ  वे |   ऽ लं ग र
 x                | 2              | 0              | 3

ध  ─ ध  नि | म ─  प  ध | मे  ग ─  रे | ग  रे  सा  सा 
कां ऽ क रि | या ऽ जी न | मा ऽ  ऽ रो | ऽ  ल  ग   रा
 x              | 2              | 0             | 3

 

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How To Read Sargam Notes

कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।

तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।

तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।

मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।

तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।


राग तोड़ी की विशेषताएँ

राग तोड़ी भारतीय शास्त्रीय संगीत में एक महत्वपूर्ण राग है, जिसकी कई विशेषताएँ हैं जो इसे अन्य रागों से अलग बनाती हैं। आइए जानते हैं राग तोड़ी की प्रमुख विशेषताओं के बारे में:

1. रचना और नामकरण – राग तोड़ी की रचना तानसेन ने की थी, इसीलिए इसे मियाँ की तोड़ी भी कहा जाता है। बोलचाल में मियाँ की तोड़ी से ही तोड़ी का बोध होता है।

2. पंचम स्वर का प्रयोग – इस राग में आरोह में बहुधा पंचम को वर्जित कर दिया जाता है और अवरोह में भी इसका अल्प प्रयोग होता है। पंचम को आरोह और अवरोह दोनों में वर्जित करने पर गुर्जरी तोड़ी राग होता है।

3. उत्तरांग वादी – राग तोड़ी उत्तरांग वादी है, जिसका मतलब है कि दिन के उत्तर अंग (12 बजे के पूर्व) में गाये जाने पर भी इसका मंद्र सप्तक उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना मध्य और तार सप्तक। उत्तर भारतीय संगीत में यह एक नियम है कि दिन के 12 बजे के पूर्व गाये जाने वाले रागों में सप्तक के उत्तर अंग से कोई एक स्वर वादी होता है, लेकिन तोड़ी इस नियम का अपवाद है।

4. प्रकार – राग तोड़ी के कई प्रकार होते हैं, जैसे:

5. गंभीरता और प्रस्तुति – राग तोड़ी एक गंभीर प्रकृति का राग है। इसमें विलम्बित और द्रुत ख्याल दोनों ही शोभा देते हैं। मींड, गमक और कण तीनों का प्रयोग इस राग में किया जाता है।

6. थाट का आश्रय राग – राग तोड़ी अपने थाट का आश्रय राग है, अर्थात इसके थाट का नामकरण इसी राग के नाम पर आधारित है।

राग तोड़ी परिचय

राग तोड़ी भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक प्रमुख राग है, जो तोड़ी थाट से उत्पन्न होता है। इसमें कोमल रे, ग, ध और तीव्र म का प्रयोग होता है। इसका गायन समय दिन का दूसरा प्रहर है। इस राग की जाति संपूर्ण-संपूर्ण है, जिसमें वादी स्वर धैवत और संवादी स्वर गंधार होते हैं। राग तोड़ी का भाव गंभीर और गहन होता है, जो शांति और स्थिरता का प्रतीक है। इसकी विशेषता इसका मध्यम स्वर है, जो इसे अन्य रागों से अलग पहचान दिलाता है।

राग तोड़ी से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

राग तोड़ी किस थाट का राग है?

राग तोड़ी तोड़ी थाट का राग है। तोड़ी थाट अपने विशेष स्वरों और भाव के लिए जाना जाता है।

राग तोड़ी की जाति क्या है?

राग तोड़ी संपूर्ण-संपूर्ण जाति का राग है। इसमें आरोह और अवरोह दोनों में सभी सात स्वरों का प्रयोग होता है।

राग तोड़ी का आरोह, अवरोह और पकड़ क्या है?

राग तोड़ी का गायन समय क्या है?

राग तोड़ी का गायन दिन के दूसरे प्रहर (सुबह) में किया जाता है। यह राग सुबह का है, जो शांत और स्थिर वातावरण में प्रस्तुत किया जाता है।

राग तोड़ी कब गाया जाता है?

राग तोड़ी को विशेष रूप से सुबह के समय गाया जाता है, जब वातावरण शांत और स्थिर होता है।

तोड़ी कितने प्रकार के होते हैं?

तोड़ी थाट में विभिन्न प्रकार के राग होते हैं, जिनमें राग तोड़ी एक प्रमुख उदाहरण है।

राग तोड़ी का वादी और संवादी स्वर क्या है?

तोड़ी थाट में कितने राग होते हैं?

तोड़ी थाट में कई राग शामिल होते हैं। राग तोड़ी इस थाट का एक प्रमुख राग है।

राग तोड़ी आरोह अवरोह पकड़

तोड़ी थाट में कितने राग होते हैं?

तोड़ी थाट में कुल चार राग होते हैं।

तोड़ी थाट में निम्नलिखित चार प्रमुख राग होते हैं:

  1. राग तोड़ी
  2. राग गुर्जरी तोड़ी
  3. राग मियां की तोड़ी
  4. राग सवा तोड़ी

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