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Raag Tilang – राग तिलंग

राग तिलंग – Tilang Raga

राग तिलंग का परिचय प्राप्त करें, जिसमें raag tilang की विशेषताएँ, राग तिलंग के आरोह-अवरोह, पकड़, और raag tilang bandish की जानकारी शामिल है। इस पोस्ट में Raag Tilang Parichay के सभी प्रमुख पहलुओं को समझें।


Raag Tilang

Raag Parichay – राग तिलंग की रचना खमाज थाट से मानी गई है। इस राग में ऋषभ और धैवत स्वर वर्ज्य हैं, जिससे इसकी जाति औडव-औडव होती है। आरोह में शुद्ध नि और अवरोह में कोमल नि का प्रयोग किया जाता है। इस राग का वादी स्वर गंधार और संवादी स्वर निषाद है। राग तिलंग का गायन समय रात्रि का दूसरा प्रहर है।

राग तिलंग आरोह अवरोह पकड़

राग तिलंग परिचय – Raag Tilang Parichay


राग तिलंग विशेषताएं

  1. ऋषभ का प्रयोग: यद्यपि तिलंग राग में ऋषभ को वर्ज्य माना गया है, फिर भी राग की सुन्दरता बढ़ाने के लिए कभी-कभी तार सप्तक में ऋषभ का प्रयोग अवरोह में किया जाता है।

  2. प्रकृति: यह चंचल प्रकृति का राग है, अतः इसमें अधिकतर छोटा ख्याल और दुमरी गाई जाती है।

  3. स्वर समूह: “नि प ग म ग” स्वर समूह का बार-बार प्रयोग किया जाता है, जिससे राग की पहचान बनी रहती है।

  4. पूर्वांग प्रधान राग: यह राग पूर्वांग प्रधान है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है।

मिलते-जुलते राग – खमाज

राग तिलंग बंदिश – हरि के भजन बिना

बंदिश – हरि के भजन बिना
राग – राग तिलंग
ताल – झपताल (10 मात्रा)
तानपुरा – काली एक (C#)

 
Raag Tilang Bandish – स्थायी

ग  सा | ग  –  म | प  म | नि  म  प
ह   रि | के  ऽ भ | ज  न | बि  ऽ ना
x        | २          | ०      | ३

सां  – | नि  प  प | गम पनि | सांनि पम  गम
कै  ऽ |  से  ऽ  त | रोऽ    ऽ  |  ऽऽ   ऽऽ  गेऽ
x       | २           | ०           | ३

Raag Tilang Bandish – अंतरा

म  प |  नि प  नि | सां  – | सां – सां
भ  ऽ | क्ति ऽ  बि | ना  ऽ | भ  ऽ क्त
x      | २             | ०       | ३

नी सां | रें  –  सां | नि  सां | नि  – प
त   रे  | भ  ऽ  व |  सा  ऽ  | ग  ऽ  र
x       | २          | ०          | ३

नि  सां | गं  –  मं | गं  गं | सां  –  –
की  ऽ | ट   ऽ  प | तं  ग | ब्र   ऽ   ऽ
x       | २           | ०       | ३

नि सां | नि  प   प  | गम  पनि | सांनि पम गम
म्हा ऽ | ड   ऽ  फि | रोऽ   ऽऽ |  ऽऽ   ऽऽ  गेऽ
x      | २              | ०            | ३

राग तिलंग तान

8 मात्रा की तानें – 

How To Read Sargam Notes

कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या ( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।

तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।

तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।

मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि” or “*नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।

तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।(जैसे, “ सां ” or “ सा* ”)

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