“राग मारवा(Raga Marwa): जानें राग मारवा परिचय(Raag Marwa Parichay), विशेषताएँ, आरोह-अवरोह, राग मरवा बंदिश(Raag marwa bandish) और तालबद्ध तानें। समझें कैसे राग मारवा मारवा थाट से संबंधित है और इसकी प्रमुख विशेषताओं के बारे में जानकारी प्राप्त करें।”
Raag Marwa Parichay
राग मारवा को मारवा थाट जन्य माना जाता है। इसमें रिषभ कोमल, मध्यम तीव्र और अन्य स्वर शुद्ध होते हैं। पंचम वर्ज्य होने के कारण इसकी जाति षाडव षाडव है। इसके वादी स्वर कोमल रे और संवादी ध होते हैं। इसे सायं के अन्तिम प्रहर में गाया-बजाया जाता है।
मारवा राग आरोह और अवरोह
- आरोह: नि रे, ग मे ध, नि रें, सां।
- अवरोह: रें, नि ध, मे ग रे, सा।
- पकड़: नि रे ग मे ध, मे ग रे।
राग मारवा परिचय
- ठाट: मारवा
- जाति: औडव-औडव
- वादी स्वर: रे (ऋषभ)
- सम्वादी स्वर: ध (धैवत)
- गायन समय: शाम
मारवा राग की विशेषताएँ
- मारवा थाट का आश्रय राग: यह राग मारवा थाट का आधार है। हालांकि, मारवा थाट में पंचम वर्ज्य नहीं होता।
- चंचल और शुष्क प्रकृति: यह राग शुष्क और चंचल होता है, जिसमें बड़ा ख्याल और मसीतखानी गतें कम सुनाई देती हैं।
- संधिप्रकाश राग: इसे दिन के अन्तिम भाग (सायं 4 से 7 बजे तक) में गाया जाता है।
- परमेल प्रवेशक राग: इसके बाद कल्याण थाट के राग गाए जाते हैं।
- वर्णात्मक स्वर: इसमें षडज का प्रयोग कम होता है, जो इसे प्रचलित रागों से अलग बनाता है।
- वादि और संवादी स्वर: वादी स्वर रे और संवादी स्वर ध होते हैं।
अपवाद
- वादि और संवादी स्वर:
- राग मारवा में कोमल रे वादी और शुद्ध ध संवादी होते हैं। इस प्रकार, रे ध में न तो षडज पंचम होता है और न ही षडज-मध्यम भाव होता है, जो सामान्यतः रागों में वादी-संवादी स्वरों के लिए आवश्यक माना जाता है। यदि ग को वादी माना जाए तो मारवा और पूरिया के पूर्वांग में कोई अंतर नहीं रहेगा। इस प्रकार, राग मारवा में रे और ध संवाद को वादी-संवादी नियम का अपवाद माना गया है।
न्यास के स्वर
-
रे और ध:
समप्रकृति राग: पूरिया
-
मारवा – .नि रे, ग मे ध, मे ग रे, .नि रे सा।
-
पूरिया – .नि रे, ग ऽ मे ध ग मे ग, मे ग रे सा।
Raag Marwa Bandish With Notes
मारवा राग बंदिश – जगत जननि जगदंब भवानी
स्थायी
नि नि रे ग | ग ग म ध | सां – नि नि | मे ध मे ध
ज ग त ज | न नि ज ग | दं ऽ ब भ | वा ऽ ऽ नी
0 | 3 | x | 2
मे ग – रे | रे सा सा सा | ध ध ध मे | ध सा सा सा
कृ पा ऽ क| र नि दुः ख | ह र नि सु | ख क र नि
0 | 3 | x | 2
नि नि रे ग | ग ग मे ध | नि नि ध मे | ग रे सा सा
प्रा ण त ज | न श र नि | भ व ज ल | धि त र नि
0 | 3 | x | 2
अन्तरा
मे – ध सां | – सां सां – | सां सां सां सां | सां रें सां –
मैं ऽ प ति | ऽ त से ऽ | व क च र | न न को ऽ
0 | 3 | x | 2
नि नि रें रें | नि नि रें नि | – रें नि ध | मे ध मे ग
मु झ प र | कृ पा ऽ दृ | ऽ ष्टि अ ब | की ऽ जे ऽ
0 | 3 | x | 2
मे रे – ग | – ग मे ध | मे ग – मे | ग रे सा –
म हा ऽ मा | ऽ या जो ऽ | ग नी ऽ सि | वा ऽ नी ऽ
0 | 3 | x | 2
Marwa Raga Taan
तालबद्ध ताने सम से ८ मात्रा की तानें-
- धध मेध मेग रेसा । निरे गरे गमे ध- ।
- निरे गरे निरे गमे । गरे धमे गमे गरे ।
- निरे गमे रेग मेध । गमे धनि धमे गरे ।
- निरे गमे धमे धमे । गमे गरे निरे सा- ।
- निरे गमे ध- मेध । निध सां- निध मेग ।
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How To Read Sargam Notes
कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- कोमल ग: ग(k) या ग
- कोमल रे: रे(k) या रे
- कोमल ध: ध(k) या ध
- कोमल नि: नि(k) या नि
नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।
तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- तीव्र म: म(t) या मे
स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।
तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।
मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।
- उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि
तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।
-
- उदाहरण: सां = तार सप्तक सा
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राग मारवा से संबंधित आपकी सभी जानकारी निम्नलिखित है:
-
राग मारवा की जाति क्या है?
- राग मारवा की जाति षाडव षाडव है क्योंकि इसमें पंचम स्वर वर्जित होता है और अन्य स्वर शुद्ध होते हैं।
-
राग मारवा का गायन समय क्या है?
- राग मारवा का गायन समय सायं के अन्तिम प्रहर (सायं 4 से 7 बजे तक) होता है।
-
राग मारवा के वर्ज्य स्वर कौन-कौन से हैं?
- राग मारवा में पंचम वर्जित है। इसके अलावा, षडज और मध्यम का प्रयोग कम होता है।
-
राग मारवा का ठाट क्या है?
- राग मारवा मारवा ठाट जन्य माना जाता है। यह ठाट मारवा राग के आधार पर नामित किया गया है।
-
राग मारवा के वादी और संवादी स्वर कौन से हैं?
- राग मारवा के वादी स्वर कोमल रे और संवादी स्वर शुद्ध ध होते हैं।
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राग मारवा का परिचय संक्षिप्त में:
- राग मारवा को मारवा ठाट जन्य माना जाता है, जिसमें रिषभ कोमल और मध्यम तीव्र होते हैं, जबकि पंचम वर्जित होता है। इसका गायन सायं के अन्तिम प्रहर में होता है और इसमें वादी स्वर कोमल रे और संवादी स्वर ध होते हैं। यह शुष्क और चंचल प्रकृति का राग है।
-
मारवा राग आरोह अवरोह पकड़ लिखिए:
- आरोह: नि रे, ग मे ध, नि रें, सां।
- अवरोह: रें, नि ध, मे ग रे, सा।
- पकड़: नि रे ग मे ध, मे ग रे।
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