Bihag Raag
इस पोस्ट में, हम राग बिहाग का परिचय (Raag Bihag Parichay) प्रस्तुत करते हैं, जिसमें Bihag Raag Notes, Raag Bihag Taan, और एक आकर्षक राग बिहाग बंदिश (Raag Bihag Bandish) “कान्हा जारे” के बारे में भी जानकारी मिलेगी, जो नोटेशन के साथ पूरी होगी।
Raag Bihag – राग बिहाग का परिचय
राग बिहाग(Raga Bihag) की रचना बिलावल थाट से मानी गई है। इसके आरोह में रे (ऋषभ) और ध (धैवत) स्वर वर्जित हैं और अवरोह में सभी सात स्वर प्रयोग किये जाते हैं। इस कारण इसकी जाति औडव-सम्पूर्ण होती है। वादी स्वर गांधार (ग) और सम्वादी स्वर निषाद (नि) हैं। इसे रात्रि के प्रथम प्रहर में गाया जाता है। कभी-कभी तीव्र मध्यम (म) का प्रयोग भी किया जाता है, हालांकि कुछ गायकों द्वारा इसे शुद्ध बिहाग मानते हुए तीव्र म का प्रयोग नहीं किया जाता।
राग बिहाग आरोह अवरोह
- आरोह: नि सा ग, म प, नि सां
- अवरोह: सां नि, ध प, म प ग म ग, रे सा
Raag Bihag – राग बिहाग पकड़
- पकड़: नि सा ग म प, म प ग म ग, रे सा
Raag Bihag Parichay
- थाट: बिलावल
- समय: रात्रि का प्रथम प्रहर
- वादी स्वर: गांधार (ग)
- सम्वादी स्वर: निषाद (नि)
- जाति: औडव-सम्पूर्ण
राग बिहाग की विशेषताएँ
- राग बिहाग(raga bihag) की चलन मन्द्र नि से प्रारंभ की जाती है जैसे- नि सा ग, रेसा।
- आरोह में रे और ध स्वर वर्ज्य हैं और अवरोह में इनका अल्प प्रयोग होता है, जैसे-सां नि 5 घप, ध प ग म ग ऽ रेसा।
- राग बिहाग(raag bihag) की सुंदरता को बढ़ाने के लिए कभी-कभी अवरोह में तीव्र मध्यम का प्रयोग पंचम के साथ विवादी स्वर की तरह किया जाता है, जैसे-प मंगमग, रेसा। तीव्र मध्यम का अधिक प्रयोग इसे कल्याण थाट का राग मानने के लिए प्रेरित करता है, हालांकि प्राचीन ग्रंथों में इसे बिलावल थाट का राग माना गया है।
- Bihag Raag गम्भीर प्रकृति का दक्षा राग है और इसमें विलम्बित ख्याल, दुत ख्याल तथा तराना गाया जाता है।
- इसकी चलन मन्द्र, मध्य तथा तार तीनों सप्तकों में समान रूप से होती है।
राग बिहाग बंदिश – कान्हा जारे जारे सावरिया
Raag Bihag Bandish
Raag Bihag Notes – Sthayi
सा म ग प | ¯ नि ¯ नि | सां नि प मे | ग म ग ¯ | का न्हा जा रे | S जा S रे | जा S रे सा | व रि या S | ० | ३ | X | २ गम पध ग म | ग रे सा नि | सा प मे प | ग म ग ¯ | काS SS हे रो | S के मो रि | घ र की ड | ग रि या S | ० | ३ | X | २
Raag Bihag Notes – Antara
ग म प नि | सां सां सां सां | सांरें सां नि ¯ | प सां नि ¯ | जै S सो S | त न ते रो | तैS सो S S | म न वा S| ० | ३ | X | २ ग म प नि | सांगं रेंगं सां सां | सां मं गं ¯ | सां रें सां ¯ | जै S सो S | तS नS ते रो | तै S सो S | म न वा S | ० | ३ | X | २
Raag Bihag Taan – 8 Matra
राग बिहाग तान – 8 मात्रा
- निसा गम पनि सांरें । सांनि धप मग रेसा ।
- गम पनि सांगं रेंसां । निध पम गरे सा- ।
- पमं गम ग- रेसा । निसा गम पनि सां ।
- पनि सांनि धप मंप । गम पम गरे सा- ।
- गम पम पनि पनि । सांनि धप मग रेसा ।
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How To Read Sargam Notes
कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- कोमल ग: ग(k) या ग
- कोमल रे: रे(k) या रे
- कोमल ध: ध(k) या ध
- कोमल नि: नि(k) या नि
नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।
तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- तीव्र म: म(t) या मे
स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।
तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।
मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।
- उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि
तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।
-
- उदाहरण: सां = तार सप्तक सा
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