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Raag Bageshri – राग बागेश्री का परिचय बंदिश और तान

Raag Bageshri – राग बागेश्री का परिचय बंदिश और तान

Raag Bageshri

राग बागेश्री का परिचय ( Raag Bageshree )

राग बागेश्री(raag bageshree) भारतीय शास्त्रीय संगीत में एक प्रसिद्ध राग है, जिसे काफी थाट से रचित माना गया है। इस राग का गायन-समय रात्रि के द्वितीय प्रहर में होता है। इसके आरोह और अवरोह की विशेष संरचना इसे अद्वितीय बनाती है। राग बागेश्री(Bageshree Raag) की जाति औडव-सम्पूर्ण है, जिसमें आरोह में रे और प स्वर वर्जित होते हैं जबकि अवरोह में सभी सात स्वर शामिल होते हैं।

Raag Bageshri Parichay

Raag Bageshri Aaroh Avroh

Raag Bageshri

राग बागेश्री की विशेषताएं

  1. आरोह में ऋषभ स्वर: आरोह में ऋषभ स्वर वर्ज्य माना गया है, किन्तु कभी-कभी इसे म तक जाकर प्रयुक्त करते हैं। जैसे – म ग ऽरे ग ऽ म ग रे सा।

  2. पंचम का प्रयोग: आरोह में पंचम स्वर वर्जित होता है, जबकि अवरोह में वक्र रूप से प्रयुक्त होता है। सपाट तानों में पंचम का सीधा प्रयोग भी किया जाता है। जैसे – सांनिधपमगरेसा।

  3. जाति का मतभेद: इस राग की जाति के विषय में विभिन्न मत हैं। अधिकांश विद्वान इसे औडव-सम्पूर्ण मानते हैं, जिसमें आरोह में रे का अल्प प्रयोग होता है।

  4. प्रमुख संगतियाँ: साम, ध म और धग्र के संगति की प्रचुरता होती है।

  5. प्रस्तुति के रूप: इस राग में ख्याल, ध्रुपद और तराना गाए जाते हैं।

Raag Bageshri Bandish Lyrics

Bageshri Raag – स्थायी

कौन करत तोरी बिनती पियरवा
मानो ना मानो हमारी बात |

Raag Bageshree – अंतरा

जबसे गाये मोरी सुधाहु न लिनि
काहे सौतन के घर जाए ||


राग बागेश्री बंदिश – Raag Bageshri Notation

Raag Bageshri Notes – स्थायी

सां – नि नि | ध म प ध | ग  ग रे सा | रे रे सा – |
कौ ऽ न क | र त तो री | बि न ति पि | य र वा ऽ
०               | ३            | x              | २

नि – ध नि | सा – सा सा | म ध मध नि | ध ग – रेसा |
मा ऽ नो न | मा ऽ नो   ऽ | ह म  रोऽ ऽ | ऽ बा ऽ तऽ |
०             | ३              | x              | २

Raag Bageshri Notes – अंतरा

ग म ध नि | सां – सां सां | नि सां रें सां | नि सां नि ध |
ज ब से ग |  ये  ऽ मो री |  सु ध  हुँ  न |  ली ऽ न्ही ऽ
०             | ३               | x               | २

– ध  – ध | नि – ध ध | ग  – – म | ग रे – सा
ऽ चा ऽ हे | सौ ऽ त न | के ऽ ऽ घ | र जा ऽ त
०            | ३            | x              | २

– सां नि नि | ध म प ध
ऽ कौ न क | र त तो री
०               | ३

राग बागेश्री की तानें (Raag Bageshri Taans)

 

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How To Read Sargam Notes

कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।

तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।

तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।

मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।

तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है

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