राग अल्हैया बिलावल का परिचय, छोटा ख्याल (बंदिश) – तान
राग अल्हैया बिलावल
Alhaiya bilawal Parichay
Raag Alhaiya Bilawal – राग अल्हैया बिलावल, बिलावल थाट से उत्पन्न माना जाता है। इसके आरोह में मध्यम स्वर वर्ज्य है, जबकि अवरोह में सभी सात स्वर प्रयोग किए जाते हैं। इसलिए इसे षाडव-सम्पूर्ण जाति का राग माना जाता है। इस राग के वादी स्वर धैवत और संवादी स्वर गंधार हैं। इसे दिन के प्रथम प्रहर में गाया जाता है। आरोह में शुद्ध निषाद और अवरोह में दोनों निषाद का प्रयोग किया जाता है, जबकि अन्य स्वर शुद्ध होते हैं।
राग अल्हैया बिलावल आरोह, अवरोह व पकड़
- आरोह: सा, ग रे ग प ध नि सां।
- अवरोह: सां नि ध प ध नि ध प, म ग म रे, सा।
- पकड़: ग रे ग प, म ग म रे, ग प ध नि ध प।
राग अल्हैया बिलावल परिचय
- थाट: बिलावल
- स्वर:
- कोमल: निषाद (अवरोह में)
- शुद्ध: सारे स्वर
- वादी स्वर: धैवत (ध)
- संवादी स्वर: गंधार (ग)
- जाति: षाडव-सम्पूर्ण
- गायन समय: दिन का प्रथम प्रहर
राग अल्हैया बिलावल की विशेषताएँ
-
राग का प्रकार:
अल्हैया बिलावल, राग बिलावल का एक प्रकार है। बिलावल के कई अन्य प्रकार भी प्रचलित हैं। -
स्वर प्रयोग:
आरोह में ऋषभ और अवरोह में गंधार का वक्र प्रयोग अधिकतर किया जाता है, जैसे –सा, ग रे ग प म ग म रे।
-
निषाद का प्रयोग:
आरोह में शुद्ध निषाद और अवरोह में कोमल निषाद का अल्प प्रयोग दो धैवतों के बीच किया जाता है, जैसे –सां निधप, धनिधप।
-
उत्तरांग प्रधानता:
यह राग उत्तरांग प्रधान है, अर्थात इसका वादी स्वर सप्तक के उत्तरांग (म प ध नि सां) से लिया गया है। इसकी चलन भी सप्तक के इसी अंग तथा तार सप्तक में ज्यादा होती है। -
वर्तमान प्रचार:
आजकल, अल्हैया बिलावल का प्रचार इतना बढ़ गया है कि केवल “बिलावल” कहने पर लोग इसे ही समझते हैं। हालांकि, बिलावल और अल्हैया बिलावल दो अलग-अलग राग हैं।
न्यास के स्वर: सा, रे और प।
मिलते-जुलते राग:
- अल्हैया बिलावल: ग प ध नि सां, सां निधनिधप म ग म रे।
- बिलावल: ग प ध नि सां, नि ध प म ग म रे।
राग अल्हैया बिलावल बंदिश तीनताल (मध्यलय )
राग अल्हैया बिलावल बंदिश – स्थायी
ध नि ध प | मग रेग प म | ग – रेसा गम | प म गरे ग
सु मि र न | कऽ रऽ म न | रा ऽ मऽ नाऽ| ऽ म कोऽ ऽ
ग – म रे | ग प निध नि | सां सां – धनि | सांरें सां धप मग |
जो ऽ कु छ | हो ऽ वेऽ ऽ | भ ला ऽ होऽ | ऽऽ वे बंऽ देऽ
राग अल्हैया बिलावल बंदिश – अन्तरा
ग ग प प | प निध नि नि | सां – सां – | धनि सारें नि सां
ए क दि न | व हऽ घ र | जा ऽ ना ऽ | होऽ ऽऽ गा ऽ
सां गं रें मं | गं रें सां सां | ध नि ध प | पध निध पम ग
सों ऽ च स | म झ क र | र ह ना ऽ| बंऽ ऽऽ देऽ ऽ
Alhaiya Bilawal Taan
8 मात्रे की तानें-
- गप धनि सांनि धप । धनि धप मग रेसा ।
- गप मग मरे गप । धनि धप मग रेसा ।
- सारे गरे गप मग । मरे गप धनि सां- ।
- पप मग मरे गप । धनि धप धनि सां- ।
- सारे गप मग रेसा । सांनि धप मग रेसा ।
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Raag Alhaiya Bilawal Bandish – Sumiran Kar Man Raam Naam ko
स्थायी (Sthayi)
-
Lyrics:
- सुमिरन कर मन राम नाम को
- जो कुछ होवे भला होवे बंदे
अंतरा (Antara)
-
Lyrics:
- एक दिन वह घर जाना होगा
- सोंच समझ कर रहना बंदे
How To Read Sargam Notes
कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- कोमल ग: ग(k) या ग
- कोमल रे: रे(k) या रे
- कोमल ध: ध(k) या ध
- कोमल नि: नि(k) या नि
नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।
तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- तीव्र म: म(t) या मे
स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।
तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।
मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।
- उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि
तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।
-
- उदाहरण: सां = तार सप्तक सा
नमस्कारम् 🙏🏻
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राग अल्हैया बिलावल से सम्बंधित कुछ प्रश्न –
1. राग अल्हैया बिलावल की जाति क्या है?
जाति: राग अल्हैया बिलावल की जाति षाडव-सम्पूर्ण है। इसका मतलब है कि इस राग के आरोह और अवरोह में सभी सात स्वर प्रयोग किए जाते हैं।
2. बिलावल थाट में कितने राग होते हैं?
बिलावल थाट में रागों की संख्या: बिलावल थाट में कई राग शामिल होते हैं, जिनकी संख्या लगभग 10 से 15 तक मानी जाती है। इनमें प्रमुख राग हैं:
- राग बिलावल
- राग अल्हैया बिलावल
- राग शुद्ध कल्याण
- राग देसकर
- राग दुर्गा
- राग हमीर
- राग माणिक्य बिन्धू
- राग तिलक कामोद
3. राग अल्हैया बिलावल का गायन समय क्या है?
गायन समय: राग अल्हैया बिलावल का गायन समय दिन का प्रथम प्रहर है। यह सुबह के समय गाया जाता है, जब सूरज की पहली किरणें दिखने लगती हैं।
4. राग अल्हैया बिलावल का वादी स्वर क्या है?
वादी स्वर: राग अल्हैया बिलावल का वादी स्वर धैवत (ध) है।
5. राग अल्हैया बिलावल का संवादी स्वर क्या है?
वादी स्वर: राग अल्हैया बिलावल का संवादी स्वर गंधार (ग) है।
6. राग अल्हैया बिलावल का थाट क्या है?
थाट: राग अल्हैया बिलावल का थाट बिलावल है। यह थाट सभी शुद्ध स्वरों से बना होता है।
7. राग अल्हैया बिलावल का गायन समय क्या है?
गायन समय: राग अल्हैया बिलावल का गायन समय दिन का प्रथम प्रहर है, जो कि सुबह के समय का होता है।
8. राग बिलावल आरोह, अवरोह, और पकड़
आरोह: सा, रे, ग, म, प, ध, नि, सां
अवरोह: सां, नि, ध, प, म, ग, रे, सा
पकड़: ग रे ग प, म ग म रे, ग प ध नि ध प
9. राग अल्हैया बिलावल की विशेषताएँ:
- स्वर प्रयोग: आरोह में मध्यम वर्ज्य होता है और अवरोह में सभी सात स्वर उपयोग किए जाते हैं।
- स्वर प्रकार: आरोह में शुद्ध निषाद और अवरोह में कोमल निषाद का प्रयोग किया जाता है।