जन्य राग ( Janya Raga – Ashray raag )
आश्रय राग क्या है? जानें आश्रय राग और जन्य राग के बीच के संबंध और आश्रय राग कितने होते हैं। यह लेख Ashray raag और janya raga की विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।
आश्रय राग किसे कहते हैं
आश्रय राग / थाट की उत्पत्ति कैसे हुई – अक्सर लोग यह सोचते हैं कि सबसे पहले थाट की रचना हुई है उसके बाद राग की रचना हुई होगी। इसका मुख्य कारण यह है कि वह समझते हैं भूपाली राग कल्याण थाट से उत्पन्न हुआ है।
वास्तव में यह बात बहुत भ्रामक है।
होना यह चाहिए कि कल्याण थाट, भूपाली राग से उत्पन्न माना गया है, न कि भूपाली राग, कल्याण थाट से उत्पन्न हुआ है।
थाट बनने के बहुत पहले से राग रागनी की रचना हो चुके हैं।
कुछ समय बाद राग रागिनी पद्धति की अवैज्ञानिकता सिद्ध किए जाने पर थाट वर्गीकरण के अंतर्गत समस्त रागों को 10 भागों में विभाजित कर दिया गया।
थाटों का नाम अलग-अलग रखने के लिए हमारे शास्त्रकारों ने यह सोचा कि प्रत्येक थाट से उत्पन्न माने गए सबसे अधिक प्रसिद्ध राग का नाम उसके थाट को दे दिया जाए।
जनक राग या आश्रय राग क्या है ?
थाट का नाम उस राग के नाम पर रखा जाता है जो थाट में सुर के क्रम से मिलता जुलता हो।
जनक राग या आश्रय राग वे राग हैं जिनके आधार पर थाटों का नामकरण हुआ है।
जैसे कल्याण थाट का उदहारण लेते है, इसका नाम राग कल्याण के नाम पर रखा गया है, इसलिए कल्याण राग, कल्याण थाट का जनक या आश्रय राग होगा
आश्रय राग कितने होते हैं?
आश्रय राग वे राग हैं जिनके आधार पर थाटों का नामकरण हुआ है। थाट 10 माने जाते है – इसलिए आश्रय राग भी 10 ही होते है – कल्याण, बिलावल, खमाज, भैरव, भैरवी, आसावरी, काफी, पूर्वी, मरवा और तोड़ी।
10 आश्रय राग के नाम –
- कल्याण
- बिलावल
- खमाज
- भैरव
- भैरवी
- आसावरी
- काफी
- पूर्वी
- मरवा
- तोड़ी।
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