Amir Khusro Ka Jivan Parichay
अमीर खुसरो – Amir Khusrau
अमीर खुसरो(Amir Khushro) का नाम भारतीय संगीत और साहित्य में एक अमूल्य धरोहर के रूप में सदा के लिए अंकित हो चुका है। उनका योगदान संगीत को एक आधुनिक और विविधतापूर्ण रूप देने में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
अमीर खुसरो (Amir Khushro) का जन्म 1253 ई. में उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली में हुआ था। उनके पिता, अमीर मोहम्मद सैफुद्दीन, बलवन के शासनकाल में पटियाली आकर बसे थे। खुसरो बचपन से ही प्रखर बुद्धि के थे और पिता की मृत्यु के बाद, उन्हें गुलाम वंश के राजा गयासुद्दीन बलबन का राजाश्रय प्राप्त हुआ। यहाँ से उनके जीवन में साहित्य और संगीत के प्रति रुचि और अधिक विकसित हुई।
अमीर खुसरो की प्रमुख रचनाएँ
राग और तालों की रचना
अमीर खुसरो (Amir Khusro) ने कई नए राग और तालों की भी रचना की। उनके द्वारा रचित राग पूरिया, साजगिरी, पूर्वी, और जिला आज भी लोकप्रिय हैं। तालों में झूमरा, त्रिताल, और आड़ा चारताल उनकी विशिष्ट देन हैं। इसके अतिरिक्त, तबला, जो आज भारतीय संगीत का एक अनिवार्य अंग है, का आविष्कार भी खुसरो के नाम से जोड़ा जाता है।
संगीत में योगदान
अलाउद्दीन खिलजी के दरबार में खुसरो ने एक राज-गायक के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने प्रतिदिन नई-नई ग़ज़लें और कव्वालियाँ प्रस्तुत कीं, जिससे उन्हें दरबार में सर्वोच्च स्थान मिला। खुसरो ने संगीत में कई नवाचार किए, जिनमें छोटा ख्याल, कव्वाली, और तराना का आविष्कार प्रमुख है। उन्होंने दक्षिण भारत के वीणा में बदलाव कर उसे ‘सहतार’ नामक वाद्य यंत्र में परिवर्तित किया, जो बाद में ‘सितार’ के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
अमीर खुसरो का साहित्यिक परिचय
साहित्यिक योगदान
अमीर खुसरो (Amir Khusro) कई भाषाओं के विद्वान थे और उन्होंने फारसी और संगीत पर कुल 99 पुस्तकें लिखीं, जिनमें से केवल 22 ही उपलब्ध हैं। उनकी शिक्षाप्रद पहेलियाँ आज भी प्रचलित हैं, जिनमें से एक प्रमुख उदाहरण है:
“खेत में उपजे सब कोई खाय, घर में होवे घर खा जाय।”
अंतिम समय और विरासत
1324 में उनके उस्ताद निजामुद्दीन औलिया के निधन के बाद, खुसरो (Amir Khushro) संसार से विरक्त हो गए और 1326 में उनका देहांत हो गया। दिल्ली में उनकी कब्र उनके गुरु के पायताने स्थित है, जहाँ आज भी उनकी याद में कव्वालों द्वारा उर्स मनाया जाता है।
निष्कर्ष
अमीर खुसरो (Amir Khusro) भारतीय संगीत और साहित्य के क्षेत्र में एक महानायक थे। उनके द्वारा किए गए नवाचार और उनके साहित्यिक योगदान उन्हें अनंत काल तक स्मरणीय बनाते हैं।
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